Punjab Congress Crisis: कांग्रेस आलाकमान ने मानी सिद्धू की मांगे, कैप्टन की चुनौती- चुनाव जीतने नहीं दूंगा
पंजाब में जारी सत्ता की खींचतान के बीच सूत्रों ने कहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कुछ समय के भीतर एक नई राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं, फिसहाल विधानसभा चुनाव के लिए केवल कुछ महीने ही बचे हैं। सूत्रों ने यह भी कहा है कि लगभग एक दर्जन कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के संपर्क में हैं, जो अगले कदम पर अपने समर्थकों से भी विचार-विमर्श कर रहे हैं। अमरिंदर सिंह के पंजाब के कुछ किसान नेताओं से भी मिलने की संभावना है।
नवजोत सिंह सिद्धू को चुनाव जीतने नहीं दूंगा: अमरिंदर सिंह
बुधवार को, अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली में उनके आवास पर बुलाया, जिससे उनके पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में बाहर निकलने के बाद भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, गुरुवार को अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट किया कि वह भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं, और कांग्रेस के साथ भी नहीं रह रहे हैं। अमित शाह के साथ अहम बैठक से बाहर निकलते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा था कि वह केंद्रीय मंत्री के साथ कृषि कानूनों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वहां थे। अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा है कि वह अब कांग्रेस पार्टी का हिस्सा नहीं हैं, साथ ही यह भी कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि नवजोत सिंह सिद्धू आगामी पंजाब विधानसभा चुनावों में जीत न पाएं।
इसे भी पढ़ें: भाजपा के साथ गठबंधन नहीं होने पर उत्तरप्रेदश में अपने बूते पर चुनाव लड़ सकता है जदयू
कांग्रेस आलाकमान ने मानी सिद्धू की सारी मांगे
वहीं दूसरी तरह खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू की सारी मांगे स्वीकार कर ली है। नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद पर बने रह सकते हैं और पार्टी एक समन्वय समिति का गठन कर सकती है जिसके साथ पंजाब सरकार द्वारा भविष्य में लिए जाने वाले बड़े फैसलों पर विचार-विमर्श किए जाने की संभावना है। पार्टी सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनके बीच बृहस्पतिवार की शाम को दो घंटे तक चली बैठक के बाद इस नतीजे पर पहुंचा जा सका है।
इसे भी पढ़ें: अवैध खनन पर हर हाल में रोक लगनी चाहिए : मुख्यमंत्री
फिलहाल सिद्धू आलाकमान का भरोसा जीतते दिख रहे हैं
सूत्रों ने बताया कि इस समिति में मुख्यमंत्री, सिद्धू और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का एक प्रतिनिधि शामिल हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि एआईसीसी इस बाबत घोषणा कर सकती है। हालांकि, इस बारे में अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है कि डीजीपी और महाधिवक्ता की नियुक्ति को लेकर उभरे मतभेद से कैसे निपटा जाएगा? गौरतलब है कि ‘दागदार’ अधिकारियों और मंत्रियों की नियुक्ति पर मतभेद को लेकर मंगलवार को सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू ने बुधवार को एक वीडियो जारी कर सार्वजनिक तौर पर अपना गुस्सा जाहिर किया था। सूत्रों ने बताया कि चन्नी और सिद्धू के अलावा बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश रावत, मंत्री परगट सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा भी मौजूद रहे। पंजाब भवन में बैठक को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। पंजाब भवन से चन्नी शाम करीब छह बजे जबकि सिद्धू उसके आधे घंटे बाद बाहर निकले।
क्या पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे सिद्धू
पार्टी के किसी भी नेता ने बैठक में क्या हुआ इस पर मीडिया से बात नहीं की। इससे पहले आज दिन में सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी से मिलने के लिए पटियाला से चंडीगढ़ आए। चन्नी ने बुधवार को सिद्धू से बात करके समस्याओं को बातचीत के जरिए सुलझाने की पेशकश की थी। चन्नी के साथ मुलाकात से पहले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने बृहस्पतिवार को राज्य के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि डीजीपी ने बेअदबी मामले में दो युवा सिखों को फंसा दिया और बादल परिवार के लोगों को क्लीन चिट दे दी। चन्नी सरकार में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पंजाब पुलिस के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। सहोता को प्रभार दिए जाने से नाराज सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सहोता फरीदकोट में गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए तत्कालीन अकाली सरकार द्वारा 2015 में गठित एक विशेष जांच दल के प्रमुख थे।
अमरिंदर सिंह ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा
उधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बृहस्पतिवार को अपनी नयी राजनीतिक पारी शुरू करने का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि वह अब कांग्रेस में नहीं रहेंगे और पार्टी से इस्तीफा दे देंगे क्योंकि ऐसे दल में वह नहीं रह सकते जहां उन्हें अपमानित किया जाए और उन पर विश्वास न किया जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। इस घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल के परिचय से कांग्रेस का उल्लेख भी हटा दिया। इस बीच, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के अधिकार को बार-बार कम करने के प्रयासों को अब खत्म किया जाना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी नवजोत सिंह सिद्धू की उस घोषणा के बाद आई है कि वह बातचीत के लिए यहां मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात करेंगे।
जाखड़ ने यह भी कहा कि राज्य के महाधिवक्ता और राज्य पुलिस प्रमुख के चयन पर लगाए जा रहे “आक्षेप” वास्तव में मुख्यमंत्री की “ईमानदारी पर सवाल” उठा रहे हैं। जाखड़ ने ट्वीट किया, “बहुत हो गया। मुख्यमंत्री के अधिकारों को बार-बार कमतर करने के प्रयासों को समाप्त करें। एजी और डीजीपी के चयन पर लगाए जा रहे आक्षेप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री की ईमानदारी/ क्षमता पर सवाल उठाना है जिन्हें परिणाम देने के लिए लाया गया है। अब समय दृढ़तापूर्वक अपनी बात कहने और कठिन स्थिति को सुलझाने का है।