उत्तर प्रदेश की खबरें: सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा- चार साल में 378 नौकरी देने वाले भी देख रहे UP का ख्वाब
लखनऊ। 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं में तेजी से बढ़ोत्तरी करने वाली प्रदेश सरकार बेहतर चिकित्सीय सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। एक ओर प्रदेश सरकार जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना कर रही है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के बड़े अस्पतालों में चिकित्सीय सेवाओं के विस्तार पर जोर दे रही है। प्रदेशवासियों को बेहतर इमरजेंसी सेंवाए देने के उद्देश्य से लखनऊ के एसजीपीजीआई में इमरजेंसी विभाग और ट्रामा सेंटर की शुरूआत होने जा रही है। नवंबर 15 तक दोनों ही सेवाओं की शुरूआत होने से लखनऊ समेत दूसरे जिलों से इलाज के लिए एसजीपीजीआई आने वाले मरीजों को काफी राहत मिलेगी।
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तकनीक के साथ कदमताल करते हुए जटिल ऑपरेशन और प्रत्यारोपण जैसी सेवाओं को अस्पताल में और भी मजबूत किया जा रहा है। संजय गांधी पोस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज (एसजीपीजीआई) में नवंबर के मध्य तक मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं में इजाफा करते हुए इमरजेंसी विभाग, ट्रामा सेंटर की शुरूआत होगी। अस्पताल में 210 बेड का इमरजेंसी विभाग और 50 बेड का ट्रामा सेंटर शुरू होने से मरीजों को भर्ती से जुड़ी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। एसजीपीजीआई में दूसरे जिलों से मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में जल्द ही तैयार होने वाले इमरजेंसी विभाग और ट्रामा सेंटर से मरीजों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। उनको दूसरे अस्पतालों के बिना चक्कर काटे बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
पीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमान ने बताया कि अस्पताल में दोनों सुविधाएं मिलने से मरीजों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। जल्द तैयार होने वाले इमरजेंसी विभाग में पर्याप्त संख्या में बेड होने से रेफरल व स्थानीय मरीजों की भर्ती प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
एसजीपीजीआई के साथ ही केजीएमयू में सबसे ज्यादा इमरजेंसी भर्तियां की जाती हैं। यहां तीन स्थानों पर इमरजेंसी भर्ती हो रही है। ट्रामा सेंटर, क्वीनमेरी और लॉरी कॉर्डियोलॉजी विभाग में अलग इमरजेंसी सेवाओं का संचालन हो रहा है। इसके बाद बलरामपुर अस्पताल और सिविल अस्पताल में इमरजेंसी सेवाएं मिलने से मरीजों को समय पर इलाज मिल रहा है। इमरजेंसी विभाग में पर्याप्त संख्या में बेड होने से गंभीर मरीजों का इलाज आसानी से हो रहा है।
धान खरीद में रिकार्ड बनाने को तैयार UP सरकार
राज्य सरकार 01 अक्टूबर से प्रदेश में शुरू होने वाली धान खरीद में किसानों को सर्वाधिक लाभ पहुंचाने जा रही है। इसके लिए सप्ताह के 04 दिन (सोमवार से गुरुवार) एक किसान से अधिकतम 50 कुंटल और बचे 02 दिन (शुक्रवार व शनिवार) 50 कुंटल से अधिक धान खरीदेगी। छोटे किसानों को धान बेचने में असुविधा न हो इसके लिए हफ्ते के चार दिन 50 कुंटल तक धान खरीद तय की गई है। जबकि 50 कुंटल से अधिक धान बेचने वालों के लिए दो दिन निर्धारित किये गये हैँ। इसपर क्रय केन्द्रों पर एक साथ ज्यादा भीड़ भी नहीं होगी और किसानों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। गेहूं खरीद के दौरान किसानों को समय से भुगतान न कर पाने और तौल या भुगतान में घालमेल करने वाली एजेंसियों पर भी सरकार ने कार्रवाई की है। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने ऐसी एजेंसियों को खरीद की प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। इनमें कुछ एफपीओ भी शामिल हैं।
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पिछली सरकारों के मुकाबले किसानों के चेहरों पर मुस्कान बिखरने वाली प्रदेश सरकार ने साढ़े 4 सालों में खरीद के पुराने रिकार्डों को तोड़ एक मिसाल पेश की है। इस वर्ष भी प्रदेश सरकार बड़ी तैयारी के साथ एक नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रही है। राज्य सरकार की तैयारी खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान खरीद में नया रिकार्ड बनाने की है। सरकार का लक्ष्य इस बार 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का है। इसको प्राप्त करने के लिए वो कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। धान खरीद में किसानों की सुविधा को देखते हुए उसने कई नई व्यवस्थाएं की हैं। बता दें कि पिछले साल सरकार ने 66 मीट्रिक टन धान की खरीद की थी। किसानों से खरीदे गये धान की गुणवत्ता प्रभावित न हो इसके लिए भी विभिन्न सुरक्षा इंतजाम किये गये हैं। क्रय केन्द्रों पर अस्थायी रूप से भण्डारित धान को पॉलीथीन, त्रिपाल से ढककर सुरक्षित रखने के लिए कहा गया है, जिससे बर्बादी न हो। राज्य सरकार ने स्प्ष्ट किया है कि हर किसान से खरीद की जाएगी। सभी किसान अपने आवश्यक दस्तावेज के साथ क्रय केन्द्रों पर धान बेच सकेंगे। सरकार ने साफ किया है कि किसान किसी भी प्रकार की अफवाह या भ्रामक सूचनाओं में न फंसे।
धान खरीद की व्यवस्था को पारदर्शी और सरल बनाने में लगी राज्य सरकार ने सभी 75 जिलों के जिलाधिकारियों को प्रत्येक सप्ताह क्रय केन्द्रों का औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिये हैं। प्रत्येक जिले में क्रय केन्द्रों पर जिलाधिकारी की जिम्मेदारी यह देखने की होगी कि धान की खरीद वास्तविक किसानों से की गई है या नहीं। त्वरित आधार सत्यापन में अनियमितता पाए जाने पर उनको दोषी केन्द्र प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई के भी अधिकार होंगे।
मायावती पर बरसे स्वामी प्रसाद मौर्य
चुनावी मौसम में पिछड़ों को लेकर सवाल उठा रहीं बसपा प्रमुख मायावती पर कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने शुक्रवार को पलटवार किया । उन्होंने कहा कि मायावती ने यूपी की राजनीति से पिछड़ों और दलितों का अस्तित्व खत्म करने की साजिश रची। पिछड़े वर्ग से आने वाले दर्जनों नेताओं को न सिर्फ पार्टी से निकाला बल्कि सत्ता में रहते हुए उनको प्रताडि़त भी किया। अब चुनाव नजदीक हैं तो पिछड़ों और दलितों को लेकर फर्जी चिंता जता रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह दिलचस्प है कि वो पिछड़ों के संरक्षण को लेकर चिंता जता रही हैं जबकि सत्ता में रहते हुए उन्होंने पिछड़ों और दलितों के लिए कुछ भी नहीं किया।
मौर्य ने कहा कि बसपा प्रमुख ने सरकार में रहते हुए सिर्फ मुख्तार जैसे माफियाओं के संरक्षण का ही ध्यान दिया। वह अंसारी को ‘रॉबिनहुड’ कहकर बुलाती थीं। पिछड़ों के साथ हमेशा दुर्व्यवहार करने वाली मयावती अब उनमें वोट बैंक तलाश रही हैं। उन्होंने कहा कि मायावती एससी और ओबीसी की नजर में बेनकाब हो चुकी हैं। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि बसपा के पुनरुद्धार की कोई संभावना नहीं है।
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चार साल में 378 नौकरी देने वाले भी देख रहे यूपी का ख्वाब: सिद्धार्थ नाथ सिंह
कोविड के मुश्किल वक्त में मेडिकल उपकरण खरीद घोटाला करने वाले दिल्ली सरकार के नेता यूपी पर दाग नहीं लगा पाएंगे। दिल्ली को पानी के लिए तरसाने वाली केजरीवाल सरकार के नेताओं को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। यह बातें शुक्रवार को योगी सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कही।
उन्होंने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि यूपी से तुलना करने वाले आप के नेताओं को अपनी सरकार में चार साल में महज 378 नौकरियों का आंकड़ा सामने रखना चाहिए । दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक केजरीवाल सरकार ने फरवरी 2015 से अप्रैल 2019 तक महज 378 नौकरियां दी हैं जबकि योगी सरकार ने साढ़े चार साल में साढ़े 4 लाख युवाओं को नौकरियां दी।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता अपने झूठ के बोझ तले दब गए हैं। यूपी के 6 जिलों से भी कम आबादी वाले दिल्ली को संभालने में नाकाम आम आदमी पार्टी अपनी खामियां छिपाने के लिए झूठी बयानबाजी कर यूपी के लोगों को ठगने की कोशिश कर रही है। संजय सिंह शायद भूल रहे हैं, कि उत्तर प्रदेश देश और दुनिया को नेतृत्व देने वाली मिट्टी है। यहां आपकी दाल नहीं गलने वाली।
उन्होंने कहा कि अपने ही बनाए झूठ के दलदल में आप के नेता इस कदर फंस गए हैं कि समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या बोलना है और क्या नहीं। आप के सांसद जिस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड बता कर यूपी पर लांछन लगाने का प्रयास करते हैं उसी कंपनी के साथ दिल्ली जल बोर्ड में काम करता है।
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पूछा कि रश्मि मेटालिक्स कंपनी पर झूठे आरोपों के मामले में संजय सिंह कोर्ट में कब हाजिर होंगे।झूठे आरोप लगा रहे आप के सांसद कोर्ट से भाग रहे हैं।