नए अध्ययन में खुलासा, कोरोना वायरस से सिर्फ फेफड़े और लीवर ही नहीं किडनी पर भी पड़ रहा प्रभाव

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कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच देश में दूसरी लहर ने बेहद ही क्षति पहुंचाई। कई लोगों को सांसों के संकट से दम तोड़ते देखा गया। वहीं इस महामारी  से जान गंवाने वाले लोगों की तादाद अच्छी खासी थी। लेकिन जो लोग इस गंभीर बीमारी की चपेट में आए और फिर रिकवर कर गए उन्हें अपने किडनी के स्वास्थ्य का ख्याल रखे जाने की जरूरत है। एक अमेरिकी रिपोर्ट में इस बात की सलाह दी गई है। जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि शुरू में जितने कोविड संक्रमित मरीज थे, उनके किडनी को नुकसान पहुंचने की संभावना उतनी अधिक थी। इसके साथ ही कम गंभीर प्रारंभिक संक्रमण वाले लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।

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किडनी इंसानी शरीर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, रक्त से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को साफ करने के साथ ही स्वस्थ रक्तचाप बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके साथ ही इलेक्ट्रोलाइट्स और अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों का संतुलन बनाए रखते हैं। ऐसे में जब किडनी ठीक से या कुशलता से काम नहीं कर रहे होते हैं, तो तरल पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे सूजन, उच्च रक्तचाप, कमजोर हड्डियां और अन्य समस्याएं होती हैं। हृदय, फेफड़े, नर्वस सिस्टम और शरीक के इम्युन सिस्टम भी प्रभावित हो सकते हैं। अंतिम चरण में किडनी रोग, डायलिसिस या अंग प्रत्यारोपण आवश्यक हो सकता है। कुल मिलाकर कहे तो स्थिति घातक हो सकती है। 

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अनुसंधान और विकास सेवा के प्रमुख डॉ ज़ियाद अल-एली ने कहा कि संक्रमित होने के एक से छह महीने के बीच गैर-कोविड रोगियों की तुलना में संक्रमित लोगों में किडनी की खराबी या उसके कार्य करने की क्षमता में त्रुटि की लगभग 35% अधिक संभावना थी। उनका कहना है कि जो लोग कोविड होने के बाद के पहले 30 दिनों में जीवित रहे हैं, उन्हें किडनी की बीमारी होने का खतरा है। 

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