क्या है ‘मिशन 5,000’ ? जिसके लिए उपराष्ट्रपति ने मतदाताओं को बताया था अहम

नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने पूर्व राष्ट्रपति की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर प्रणब मुखर्जी स्मृति व्याख्यान में मंगलवार को कहा कि व्यवधान संसदीय आचरण और कामकाज के प्रमुख तरीके के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि निष्क्रिय विधायिकाएं देश के लिए कानून और नीतियां बनाने से पहले हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा में बाधा बनती हैं। इस दौरान उन्होंने मिशन 5000 का भी जिक्र किया।
- क्या है मिशन 5,000 ?
वेंकैया नायडू ने मिशन 5,000 का जिक्र करते हुए लोगों की भागीदारी की बात कही। उन्होंने इसके लिए मतदाताओं को अहम बताया। दरअसल, उन्होंने कहा कि लोगों को सांसदों, विधायकों और एमएलसी के आचरण में सुधार के लिए ‘मिशन 5,000’ की अवधारणा पर काम करना चाहिए।
उनका कहना था कि 5,000 जन प्रतिनिधियों के आचारण में सुधार लाने का काम मजबूती के साथ मतदाता कर सकते हैं। लोगों को इस अभियान का हिस्सा बनकर अपने जन प्रतिनिधियों के आचरण में सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए।
आपको बता दें कि मिशन 5000 कुछ और नहीं बल्कि सांसदों, विधायकों और एमएलसी के आचरण में सुधार लाना है। उन्होंने कहा कि देश के 5,000 सांसदों के बीच व्यवहार में बदलाव समय की मांग है जो व्यवधानों का सहारा लेते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह का अभियान संसदीय लोकतंत्र को उसकी चमक और आकर्षण को खोने से बचाएगा। इसी बीच वेंकैया नायडू ने कहा कि निष्क्रिय विधायिकाएं देश के लिए कानून और नीतियां बनाने से पहले हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा में बाधा बनती हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यवधान विधायिकाओं के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही के सिद्धांत को नकारते हैं, जिससे मनमानी की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है।
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान पेगासस जासूसी, किसान समेत अनेक मुद्दों को लेकर विपक्षी सदस्यों ने दोनों सदनों में बार-बार बाधित किया था। इतना ही सदन में कुछ सांसदों के मेज पर चढ़ने पर उपराष्ट्रपति ने दुख भी जताया था। इस बार का सत्र हंगामेदार रहा है।