पोषण माह (01 से 30 सितम्बर ) विशेष : कुपोषण से बचाती है हाथों की स्वच्छता

- दूषित हाथों से खानपान से पेट में पैदा होते हैं कृमि
- कृमि के खून चूसने के कारण भी कुपोषित होते हैं बच्चे और किशोर
उत्तरप्रदेश/गोरखपुर, 01 सितंबर 2021 : हाथों की स्वच्छता कुपोषण से भी बचाव करता है। अगर सुमन-के विधि से हाथों की सफाई की जाए और बच्चों के साथ-साथ किशोर-किशोरियों में इस आदत का विकास किया जाए तो कुपोषण रोकने में मदद मिलेगी। यह कहना है जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी के.एन. बरनवाल का। वह बताते हैं कि दूषित हाथों से भोज्य पदार्थों का सेवन करने से पेट में कृमि पैदा होते हैं। यह कृमि खून चूस कर कुपोषित कर देते हैं। इसलिए स्वस्थ बच्चों, किशोर-किशोरियों और बड़ों को भी हाथों की स्वच्छता के आदत का विकास करना चाहिए।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी ने बताया कि हाथों की स्वच्छता न केवल कोविड, इंसेफेलाइटिस और पेट से जुड़ी अन्य बीमारियों की रोकथाम में कारगर है, बल्कि सुपोषण में इसका व्यापक योगदान है। बाहर से देखने में जो हाथ साफ-सुथरे दिखते हैं, दरअसल उनमें भी धूल, मिट्टी और गंदगी के छोटे-छोटे कड़ होते हैं। कई प्रकार के वायरस भी हथेलियों पर चिपके रहते हैं। अगर गंदगी को देखना है तो पारदर्शी दो गिलास में पानी लें। एक गिलास में बिना धुले हाथ को स्पर्श करता हुआ पानी डालें और दूसरे में हाथों की सफाई के बाद साफ हाथों का स्पर्श करते हुए पानी डालें। बिना धुले हाथ के पानी वाला गिलास मटमैला दिखेगा और देख पाएंगे कि अगर बिना हाथ धुले खाना खाते हैं तो पेट में काफी गंदगी जाती है।
श्री बरनवाल ने बताया कि पेट में पैदा होने वाले कृमि के नाश के लिए साल में दो बार दो साल से अधिक आयुवर्ग के बच्चों व लोगों को अल्बेंडाजोल की खुराक अवश्य दिलवानी चाहिए। कृमिनाशक गोली के जरिये कुपोषण से बचाव के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस भी मनाया जाता है। यह गोली प्रत्येक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर निःशुल्क उपलब्ध है। जिन बच्चों में स्वच्छता की आदत का विकास किया जाता है, उन बच्चों में कृमि की आशंका कम होती है।
- एनीमिया का कारण है गंदगी
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में शहरी बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि हाथों की गंदगी के कारण पेट में पैदा होने वाले कीड़ों के कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है। इससे बच्चों और किशोरियों में एनीमिया की समस्या पैदा हो जाती है। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 (वर्ष 2015-16) के अनुसार गोरखपुर जिले के छह से 59 माह के बीच के 59.9 % बच्चे हीमोग्लोबिन की कमी वाले पाए गये। जिले की 52 % 15 से 49 आयुवर्ग की महिलाएं, 45.6 % इसी आयुवर्ग की गर्भवती और 21.8 % इसी आयु वर्ग के पुरुष एनीमिया से ग्रसित हैं। अगर अच्छे खानपान के साथ स्वच्छता व्यवहार पर अमल किया जाए तो एनीमिया से बचा जा सकता है।
ऐसे साफ-सुथरे रखने हैं हाथ
- सबसे पहले हथेलियों पर साबुन पानी लगाएंगे
- फिर हथेलियों को उल्टा करके सफाई करेंगे
- फिर मुट्ठियों की सफाई होगी
- अंगूठे साफ करेंगे
- नाखूनों को साफ करेंगे
- अंत में कलाई साफ करेंगे
- साबुन पानी से 40 सेकेंड तक हाथों की सफाई भी करनी है।