विपक्ष के जल्दबाजी में बिल पास कराने के आरोप पर बोलीं निर्मला सीतारमण, थोड़ा अपना रिकॉर्ड भी देखें

0
पेगासस जासूसी मामले और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर सड़क से संसद तक गतिरोध कायम है। विपक्ष लगातार सरकार को घेर रही है। संसद में भी विपक्ष का हंगामा जारी है जिसकी वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जल्दबाजी में बिल पास करा रही है। वह किसी बिल पर चर्चा नहीं करा रही। विपक्ष के इसी आरोप पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार का पक्ष रका है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि विपक्ष ऐसा बोल रहा है कि जल्दबाजी में बिल पास कर रहे हैं। 2007 में विपक्ष ने कम से कम 11 बिल जल्दबाजी में पास कराए, उसके बाद 2011 में संविधान विधेयक को भी जल्दबाजी में पास करवाया। कपिल​ सिब्बल ने स्वीकार भी किया कि हमने जल्दबाजी में बिल पास करा है।

पीयूष गोयल और प्रहलाद जोशी बार​-बार कह रहे हैं कि हम बात करने के लिए तैयार हैं। फिर भी हमें बोलते हैं कि दबाव में बिल पास कर रहे हो। थोड़ा अपना रिकॉर्ड भी निकालकर देखें: निर्मला सीतारमण https://t.co/ELyh68iQOc

— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 6, 2021 निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि पीयूष गोयल और प्रहलाद जोशी बार​-बार कह रहे हैं कि हम बात करने के लिए तैयार हैं। फिर भी हमें बोलते हैं कि दबाव में बिल पास कर रहे हो। थोड़ा अपना रिकॉर्ड भी निकालकर देखें। आपको बता दें कि लोकसभा ने विपक्षी दलों के शोर शराबे के बीच शुक्रवार को ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 के जरिये की गयी मांगों को वापस लिया जाएगा। इसके तहत केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से पूर्व की तिथि से कर की मांग को वापस लिया जाएगा। 

 

इसे भी पढ़ें: पेगासस जासूसी मामले पर बोले राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी हर हिंदुस्तानी के फोन के अंदर घुस गए हैं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ को चर्चा एवं पारित होने के लिए पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2012 में उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद संबंधित कानून में संशोधन किया गया जिससे पूर्व की तिथि से कर लगाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए इसक विरोध करते हुए कहा था कि यह प्रावधान कानून सम्मत नहीं है और निवेशकों की भावना के प्रतिकूल भी है। वित्त मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद उच्च स्तरीय समिति ने इस पर विचार किया।
 

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *