हिमाचल प्रदेश में आई तबाही पर बोले कांग्रेस नेता, इसे रोका जा सकता था

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धर्मशाला। केंद्र सरकार के अधीन महाराष्ट्र स्थित सैंट्रल वाटर एवं पावर रिसर्च स्टेशन ने धर्मशाला की मांझी, मनूणी एवं चरान आदि खड्डों के चैनलाईजेशन की डी.पी.आर. को मंजूरी दे दी होती तो आज यह तवाही नहीं होती। कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा ने यह बात कही। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग भी की है कि उक्त डी.पी.आर. को रिवाईज कर के एक बार पुन: मंजूदी के लिए भेजा जाए और इस परियोजना का कार्य पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि धर्मशाला के अंतर्गत मांझी खड्ड में आए भारी एवं तेज जल प्रवाह से हुई तवाही को समय रहते रोका जा सकता था। मांझी खड्ड की चपेट में आने से दर्जनों परिवार प्रवाहित हुए हैं, साथ ही पुलों, पेयजल परियोजनाओं सहित करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि उनकेमंत्री रहते मांझी, चरान और मनूणी खड्ड सहित अन्य खड्डों का चैनलाईजेशन करने की योजना बनाई गई थी, जिसके तहत संबंधित विभाग के अधिकारियों एवं एक्सपर्टस की देखरेख में एक डी.पी.आर. बना कर केंद्र सरकार के अधीन सैंट्रल वाटर एवं पावर रिसर्च स्टेशन महाराष्ट्र के निदेशक को प्रेषित की गई थी। वर्ष 2015-16 में तैयार की गई डी.पी.आर. 95.34 करोड़ रुपए की थी जिसे अंतिम मंजूरी नहीं दी गई। सुधीर शर्मा ने कहा कि उक्त खड्डों के किनारे निवास कर रहे परिवारों के भविष्य को देखते हुए इस योजना पर कार्य किया गया था, धर्मशाला में यह पहला मौका नहीं था जब बरसात के मौसम में तेज जल प्रवाह के कारण नुकसान हुआ हो। 
 

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इससे पूर्व भी जल शक्ति विभाग, विद्युत विभाग सहित स्थानीय लोगों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है। धर्मशाला से सुधीर शर्मा के विधायक एवं मंत्री रहने से पूर्व किसी भी जन प्रतिनिधियों ने खड्डों के चैनलाईजेशन की ओर ध्यान नहीं दिया और मौजूदा जन प्रतिनिधि भी इस मामले को गहनता से नहीं ले रहे हैं। केंद्र सरकार ने यदि उक्त डी.पी.आर. को मंजूरी दे दी होती तो आज तवाही का यह मंजर नहीं होता। धर्मशाला में सत्तासीन भाजपा के ही विधायक हैं और सांसद भी धर्मशाला में ही निवास करते हैं। इन जन प्रतिनिधियों को चाहिए कि भविष्य को देखते हुए खड्डों के चैनलाईजेशन की ओर ध्यान दिया जाए ताकि हर वर्षों होने वाले करोड़ों के जान-माल के नुकसान को रोका जा सके। सुधीर शर्मा ने प्रदेश सरकार के मांग उठाई है कि इस डी.पी.आर. को रिवाईज़ करके एक बार फिर मंजूरी के लिए भेजा जाना चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके। उधर लाहुल घाटी के उदयपुर में पर्यटक हेलिकॉप्टर के इंतजार में तैयार बैठे हैं। अन्‍य राज्यों के करीब 32 पर्यटक उदयपुर में हेलिकॉप्टर का इंतजार कर रहे हैं। 
 

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हालांकि बारिश बंद हो गई है। लेकिन रोहतांग दर्रे में छाए बादल हेलिकॉप्टर की राह में बाधा बने हैं। शुक्रवार को भी पर्यटक हेलिकॉप्टर की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन खराब मौसम के कारण उड़ान नहीं हो पाई। पर्यटक दिन भर आसमान की ओर देखते रहे।हालांकि प्रदेश के विभिन्न जिलों के लोग भी उदयपुर क्षेत्र में फंसे हैं। लेकिन उनमें से अधिकतर सड़क से कहीं गाड़ी में तो कहीं पैदल चलकर मनाली निकल आए हैं। सरकार ने इन लोगों को रेस्क्यू करने की पूरी तैयारी कर ली है और पर्यटकों को भी आज राहत मिलने की उम्मीद है। मौसम खुलते ही हेलिकॉप्टर रोहतांग होते हुए उदयपुर हेलीपैड उतरेगा और घाटी में फंसे पर्यटकों को उदयपुर से सिस्‍सू हेलीपैड लाएगा। सिस्‍सू से पर्यटकों को वाहन द्वारा अटल टनल होते हुए मनाली लाया जाएगा।लाहुल स्पीति प्रशासन ने फंसे हुए सभी लोगों की लिस्ट बना ली है। इनमें 32 पर्यटक विभिन्न राज्यों के हैं जबकि 209 लोग प्रदेश के हैं। सभी पर्यटक पटन घाटी में फंसे हुए हैं, जबकि लेह व काजा में फंसे पर्यटकों को निकाल लिया गया है। डीसी लाहुल स्पीति नीरज कुमार ने बताया आज पर्यटकों को लोगों को रेस्क्यू करने की पूरी तैयारी कर ली है। मौसम की वजह से उड़ान नहीं हो पा रही है। मौसम साफ होते ही सभी को हेलिकॉप्टर के माध्यम से रेस्क्यू कर लिया जाएगा।

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