संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के खिलाफ प्रस्ताव में भारत ने नहीं किया मतदान, मजबूती से रखा अपना पक्ष

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संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के खिलाफ प्रस्ताव में भारत ने नहीं किया मतदान, मजबूती से रखा अपना पक्ष
म्यांमार में हाल ही में सैन्य तख्तापलट किया गया है। जिसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित कर सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा की गई है। संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव में भारत समेत 35 देशों ने हिंसा नहीं लिया।
भारत ने इस प्रस्ताव खुद को अलग क्यों कर लिया ये बताने से पहले आपको बता दें कि प्रस्ताव के जरिए शस्त्र प्रतिबंध का आह्वान करने के साथ ही लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को बहाल करने की मांग की गई है।
  • मसौदा प्रस्ताव हमारे विचारों प्रतिबिम्बित नहीं करता
अब भारत ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ पारित में प्रस्ताव में मतदान क्यों नहीं किया इसको लेकर भी बहस शुरु हो गई है। दरअसल इस मसले पर भारत का कहना है कि मौसदा प्रस्ताव हमारे विचारों को प्रतिबिम्बित नहीं करता है।
भारत ने कहा कि इस मसौदा प्रस्ताव में हमारे विचार प्रस्तावित नहीं हो रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देता रहा है और ऐसे में हम इस बात को दोहराना चाहते हैं कि इसमें म्यांमार के पड़ोसी देशों और क्षेत्र को शामिल करते हुए एक सलाहकार और रचनात्म दृष्टिकोण अपनाना जरुरी है।
  • संयुक्त प्रयासों के अनुकूल नहीं- भारत
भारत की तरफ से इस प्रस्ताव में हिस्सा ना लेने पर कहा गया कि पड़ोसी देशों और क्षेत्र के कई देशों से इसे समर्थन नहीं मिला है। ऐसे में हम आशा करते हैं कि ये उनके लिए आंख खोलने वाला होगा, जिन्होंने जल्दबाजी में कार्रवाई करने का कदम उठाया।
इस प्रस्ताव में शामिल ना होने पर अपने पक्ष रखते हुए भारत ने कहा कि इसे स्वीकार करना म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में हमारे संयुक्त प्रयासों के लिए अनुकुल नहीं है इसलिए हम इसमें हिस्सा नहीं ले रहे। वहीं आपको बता दें कि प्रस्ताव के समर्थकों को उम्मीद थी कि 193 सदस्यीय विश्व संस्था सर्वसम्मति से इसे स्वीकार कर लेगी लेकिन बेलारूस ने मतदान कराने का आह्वान किया।
  • सैन्य तख्ता पलट के बाद से कई नेता है नजरबंद
प्रस्ताव के पक्ष में 119 देशों ने वोट किया, बेलारूस ने इसका विरोध किया, जबकि भारत समेत 35 देशों ने इससे दूरी बनाना बेहतर समझा। ये प्रस्ताव यूरोपीय संघ और कई पश्चिमी और आसियान देशों, जिसमें म्यांमार भी शामिल है, सहित तथाकथित ‘कोर ग्रुप’ की लंबी बातचीत का परिणाम था।
बता दें कि फरवरी में हुए सैन्य तख्ता पलट के बाद से सूची और सरकार के कई अन्य नेता तब से अबतक नजर बंद हैं जिसके विरोध में देश में प्रदर्शन हो रहे हैं।
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आकाश भगत

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