केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोविड-19 के खिलाफ जंग सफलतापूर्वक लड़ी और 135 करोड़ नागरिकों की मदद से बीमारी का ग्राफ नीचे लाने में कामयाब रहे।
शाह ने कहा, “अब, मामले घट रहे हैं, मरीजों की संख्या कम हो रही है। ऑक्सीजन की जरूरत 10,000 मीट्रिक टन से घटकर 3,500 मीट्रिक टन पर आ गई है। यह दिखाता है कि कोविड-19 का वक्र नीचे आ रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत के टीकाकरण अभियान की गति विश्व में सबसे तेज है और यह भविष्य में और गति पकड़ेगा ताकि कम से कम समय में अधिकतम लोगों को कवर किया जा सके जैसा कि प्रधानमंत्री ने परिकल्पना की है।
शाह गुजरात के विभिन्न हिस्सों में सरकारी अस्पतालों में लगाए गए नौ चिकित्सा ऑक्सीजन संयंत्रों का ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन करने के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बोल रहे थे। ये ऑक्सीजन संयंत्र गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) वल्लभ यूथ ऑर्गनाइजेशन द्वारा तिलकवाड़ा, सागबारा, अहमदाबाद (सोला सिविल), अहमदाबाद जिले के दसकरोई, कलावाड़, कापड़वंज, भानवाड़, मेहसाना और पोरबंदर के अस्पतालों में लगाए गए हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने गांधीनगर से इस ऑनलाइन कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
शाह ने कहा कि वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने और मामलों में कमी लाने में सरकार को सफलता सामूहिक प्रयासों से मिली है। उन्होंने कहा, “जैसा कि आपने मीडिया की खबरों में देखा होगा कि बहुत विकसित देशों को भी वैश्विक महामारी से निपटने में संघर्ष करना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ, हमने यह लड़ाई धैर्य एवं योजना के साथ लड़ी है।’’ शाह ने कहा कि अन्य देशों में केवल सरकारें कोरोना वायरस से लड़ रहीं थी। उन्होंने कहा, “भारत में, सरकार के साथ-साथ, 135 करोड़ नागरिकों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह लड़ाई लड़ी। हमारी सफलता का यही कारण है।” उन्होंने कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी।
गृह मंत्री ने अग्रिम मोर्चें के कर्मियों, चिकित्सकों, नर्सों, एनजीओ और स्वयंसेवियों का शुक्रिया किया। उन्होंने कहा, “गैर सरकारी संगठनों ने हर संभव तरीके से लोगों की मदद की। जब प्रवासी पिछले साल अपने घर लौट रहे थे, एनजीओ ने उन्हें खाना, पानी, आश्रय दिया और उनके गंतव्यों तक पहुंचने में मदद की। सरकार अकेले यह सब नहीं कर पाती। शाह ने कहा कि कोविड-19 के दैनिकमामलों में गिरावट आने से चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग भी घट रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व में जहां देश में रोजाना 1,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी वह कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान अचानक बढञकर 10,000 मीट्रिक टन हो गई। उन्होंने बताया कि फिलहाल मांग 3,500 मीट्रिक टन है।
शाह ने बताया कि कोविड-19 मरीजों की जान बचाने के लिए जब जीवनरक्षक गैस की मांग बहुत ज्यादा थी उस वक्त केंद्र ने चिकित्सीय ऑक्सीजन और क्रायोजेनिक टैंकरों के परिवहन के लिएट्रेनों और रक्षा विमानों की सेवाएं लीं। उन्होंने कहा, “15,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का परिवहन रेलगा़ड़ियों के माध्यम से, जबकि ऑक्सीजन भंडारण के लिए टैंकरों का परिवहन सैन्य विमानों का प्रयोग कर किया गया।” शाह ने कहा कि कोविड-19 की पहली लहर के बाद पीएम केयर्स फंड के तहत जहां 612 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों को स्वीकृति दी गई वहीं इस साल 1,051 को स्वीकृति दी गई। शाह ने बताया कि केंद्र ने पीएम केयर्स फंड के जरिए एक लाख ऑक्सीजन सांद्रकों की खरीद की।