एक्कीकरण से ही होगा चंद्रवंशीयों का विकास : गौरव नारायण

0
IMG-20210407-WA0030_(1)
  • महासभा के नाम पर गुटबाजी करने वालों को खेर नहीं

झारखण्ड/धनबाद (ब्यूरो) : उन्नीस सौ छह में स्थापित अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा का संगठन आज पूरे देश में चरमरा गई है। आज यह चंद्रवंसी महासभा गुटों में बटकर चंद्रबंसियों का विकास थम गई है।

 

 

 

सिर्फ कहने को है कि यह महासभा 1906 से चल रही है। लेकिन सच्चाई यह है की यह महासभा एक पॉकेट संस्था बनकर रह गई है। जब तक इस महासभा में एक राष्ट्रीय अध्यक्ष, एक संविधान और एक विचार नहीं होगी तब तक इस समाज का विकास संभव नहीं है। महासभा के नाम पर गुटबाजी करने वालों को अब खैर नही। उक्त बातें महासभा के चुनाव आयुक्त एवं महासभा के आजीवन सदस्य अधिवक्ता गौरव नारायण भारती ने पत्रकारों को बताया।

 

 

उन्होंने कहा के मिल्लत कमेटी के नेतृत्व में पूरे देश में समाज को एकीकरण करने का अभियान जोर शोर से चलाई जा रही है। आज पूरे देश के चंद्रबंशी इस मिल्लत कमिटी को स्वागत कर रही है। आज पूरे देश में सदस्यता अभियान चल रही है।उन्होंने यह भी कहा कि समाज को एकजुटता के लिए एक संविधानिक रथ जो बिहार के एक एक जिले का भ्रमण कर समाज को जगाने का प्रयास कर रही है और इस संविधानिक रथ का नेतृत्व गौरव नारायण भारती स्वयं कर रहे हैं।

 

 

श्री भारती ने बताया कि इस बार महासभा के संविधान का पालन करते हुए चुनाव कराया जाएगा। जो पूरे देश में अखिल भारतवर्षीय चंद्रबंशी क्षेत्रीय महासभा का एक ही राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे और यदि इसके बाद भी कोई मनमानी तरीके से गुटबाजी करना चाहेंगे तो ऐसे लोगों के ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। श्री भारती का यह भी मानना है कुछ लाभुकों द्वारा इस महासभा को एक पॉकेट की संस्था बनाकर अपना सिर्फ उल्लू सीधा कर समाज के लोगों को बेकूफ़ बनाया है, जो अब नहीं चलेगी। अब संविधानिक तरीके से आना होगा और जो महासभा का संविधान है उसके तहत काम करना होगा।

 

 

 

उन्होंने कहा कि बहुत जल्द एकीकरण चुनावी रथ झारखण्ड के एक एक जिले में भ्रमण कर समाज के लोगों को जागृत करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी समय है कि गुटबाजी छोड़कर एक संविधान के साथ आकर चुनाव लड़े और समाज को आगे बढ़ाने का काम करें।

New Project (4)
आकाश भगत

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *