गधे की सवारी से लेकर एयरप्लेन तक का सफर, जानें पूरा मामला

0

 

  • अलवर का रोहित जिस पर अमेरिका की यूनिवर्सिटी कर रही एक करोड़ रुपए खर्च

मजदूरी व बांटे पर खेती करने वाले जिले के काेटकासिम के उजोली गांव निवासी रोहित ने 20 साल की उम्र में गधे की सवारी से लेकर एयरप्लेन तक का सफर तय किया है।

 

दादा, पिता व चाचा के साथ मटके बनाकर गधे पर बेचने के पैतृक कामकाज में खूब हाथ बंटाया। पिता के गुजरने के बाद चाचा ने हाथ थामा। मजदूरी के भरोसे ही ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में भेज दिया। दिल्ली से एमएससी की पढ़ाई करते हुए रोहित ने अपनी काबलियत के बूते एयरप्लेन से अमेरिका के लिए उड़ान भरी।

 

 

अब वह अमेरिका की इण्डियाना ब्लूमिंगटन यूनिवर्सिटी पहुंच गया है। इस यूनवर्सिटी ने रोहित को फिजिक्स में पीएचडी करने का अवसर दिया है। जिसका पूरा खर्च यूनिवर्सिटी ही देगी। करीब पांच साल में रोहित को सीधे तौर पर 1 करोड़ रुपया मिलेगा।

 

 

इसके अलावा अन्य खर्च भी यूनिवर्सिटी के जरिए ही होगा। रोहित को मिलने वाली राशि उसकी पढ़ाई पर ही खर्च होगी। रोहित के इस सफर में परिवार के अलावा कुछ शिक्षक व समाज के अच्छे लोगों का भी सीधा योगदान रहा है। जो राेहित को हमेशा याद रहता है।

 

ये रोहित का पुराना मकान हैं। जहां दसवीं तक पढ़ाई की।

 

ये रोहित के गांव का पुराना मकान

कोटकासिम के उजोली गांव में ही रोहित के परिवार का यह पुराना मकान हैं। जहां उसक बचपन ही नहीं 10वीं कक्षा तक का जीवन गुजरा है। इस घर कीदीवारें ही पक्की थी लेकिन, ऊपर का हिस्सा कच्चा था। मतलब दीवारों के ऊपर छप्पर होता था। उसी में रहते थे। लेकिन, अब पिछले कुछ सालों ने उन्होंने अपना तीन कमरे का अलग मकान बना लिया है।

 

24 दिसम्बर को ही रोहित गांव से अमेरिका गया। परिवार के साथ रोहित।

 

चाचा मनीराम ने ही संभाला

रोहित के पिता की तीन साल की उम्र में ही मौत हो गई थी। उसके बाद चाचा मनीराम ने ही उसे संभाला। रोहित को 10वीं कक्षा तक उजोली के सरकारी स्कूल में ही पढ़ाया। दसवीं में रोहित ने 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त कर टॉप किया। इसके बाद न्यू टगौर पब्लिक सकूल में पढ़ाई कर 12वीं में 93 प्रतिशत अंक हासिल किए। ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया। वहां भी पूरे कॉलेज में टॉपर रहा। आईआईटी मुम्बई में पढ़ाई के बाद उसका दो महीने के लिए अमेरिका में इंटर्नशिप का मौका मिला। वहीं से पीएचडी की राह निकली।

 

जब रोहित पांच साल का था। उस समय दादा के साथ है। दादा चाक पर मिट्‌टी बर्तन बनाने में लगे हैं।

 

डॉ रोमाल्डो डिसूजा ने पीएचडी की राह निकाली

रोहित को एमएससी के बाद अमेरिका में दो महीने की इंटर्नशिप का डॉ रोमाल्डो डिसूजा के अण्डर मे करने का माैका मिला था। उनके सुझाव पर ही रोहित ने इण्डियाना ब्लूमिंगटन यूनवर्सिटी में पीएचडी के लिए आवेदन किया। यूनिवर्सिटी ने उनका ऑफर स्वीकर कर लिया। रोहित पिछले दिसमबर माह में ही यूनिवर्सिटी पहुंचा है।

 

पढ़ाई के समय 50 हजार की मदद मिली

रोहित पढ़ाई में अव्वल रहा है। परिवार गरीब होने के कारण पडौस के राबड़का गांव के बिल्लूराम यादव व गजराज यादव ने ग्रेजुएशन के समय हर साल 50 हजार रुपए की मदद की। 12वीं के स्कूल संचालक ने बिना फीस पढ़ाया। इनके अलावा जितेन्द्र गुरुजी, निहाल सिंह राणा ने मागदर्शन किया। शिक्षक संजय शर्मा व सामेश यादव ने फी पढ़ा कर मदद की। रोहित इन सबको हमेशा याद करता है।

 

अमरिका की इण्डानिया ब्लूमिंगटन यूनवर्सिटी।

 

40 किलोमीटर में यूनिवर्सिटी

रोहित ने बताया कि इण्डियान ब्लूमिंगटन बड़ी यूनिवर्सिटी। जिसका कैंपस करीब 40 किलोमीटर दूर तक फैला है। अब यहां पढ़ाई शुरू हो गई है। भविष्य में रिसर्च के सेक्टर में ही काम करने का सपना हैं। मतलब अब रोहित एक वैज्ञानिक बनने की ओर बढ़ गए हैं।

आकाश भगत

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *