अब लोग मानने लगे हैं, Depression देश की टॉप 5 चुनौतियों में से एक : रिपोर्ट
अवसाद यानि कि डिप्रेशन शब्द के बारे में आप सभी अच्छे से अवगत होंगे। मानसिक बीमारी डिप्रेशन को आज के समय में हर एक व्यकित देश की टॉप 5 चुनौतियों में एक मानने लगे है। आज के इस दौर में लोग किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे है उनमे से एक डिप्रेशन भी है। मशहूर मेडिकल जर्नल लैसेट की 2017 की एक रिसर्च से पता चला है कि देश में कुल आबादी का 14.3 फीसदी मानसिक बीमारी से जूझ रहे है। भले सरकार ने अब जाकर मैंटल हेल्थ पॉलिसी की शुरूआत कर दी हो लेकिन डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारी हर दिन बढ़ती ही जा रही है।
क्या है कारण?
सोसायटी मानसिक बीमारी से जूझ रहे लोगों को अलग ही नजर से देखती है और जिस के कारण कई योजनाएं ठीक से लागू ही नहीं हो पाती है। टाइम्स नेटवर्क ने मानसिक से सबंधित मुद्दो पर रिसर्च किया तो पाया कि सोसयटी में केवल बदनामी के डर और देखभाल की कमी से कई लोग मानसिक जैसी सबंधित बीमारी के बारे में खुल कर बाहर नहीं बोल पाते है। जबिक स्टडी बताती है कि 86 फीसदी लोगों ने माना कि मानसिक स्वास्थय की समस्याओं को दूर करने के लिहाज से दूसरों से बात करना काफी अहम है। 4 में से 3 लोगों ने माना कि मानसिक बीमारी से जूझ रहे लोग सभी से बात करने के इच्छुक नहीं होते है।
ज्यादा बात करना है जरूरी!
बता दें कि मानसिक बीमारी से जूझ रहा व्यक्ति से बात करना काफी फायदेमंद माना जाता है। स्टडी भी कहती है कि मानसिक बीमारी से जूझ रहे लोग सभी से बात करने के इच्छुक नहीं होते है लेकिन वह परिवार के किसी सदस्य या क्लोज दोस्त से बात करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते है। बता दें कि मानसिक स्वास्थय परिवार में आलोचना, जीवन के प्रति आरूचि जैसे कारणों से बिगड़ता है।