क्या कच्चातिवु द्वीप भारत को सौंप देगा श्रीलंका?

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कच्चातिवु द्वीप पर भारत के दावे के बीच श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने साफ कहा कि उनके देश का कच्चातिवु द्वीप छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। 285 एकड़ में फैले इस द्वीप का एतिहासिक और सामरिक महत्व रहा है।

 

हेराथ ने सिरासा टीवी से बातचीत में कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए हमारे राजनयिक माध्यम हैं लेकिन यह तय है कि श्रीलंका कभी भी कच्चातिवु को छोड़ने के लिए सहमत नहीं होगा।

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श्रीलंका के विदेश मंत्री ने यह बात श्रीलंकाई जलक्षेत्र में भारतीय मछुआरों को लगातार गिरफ्तार किए जाने की घटनाओं से जुड़े एक सवाल के जवाब में कही। भारत और श्रीलंका के मछुआरे एक-दूसरे के जलक्षेत्र में अनजाने में प्रवेश कर जाते है और वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।

 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 27 जून को कहा था कि श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने का मुद्दा 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान हुए एक समझौते से उपजा है, जिसके तहत कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में मछली पकड़ने के अधिकारों को छोड़ दिया गया था।

 

हेराथ ने इस मुद्दे को यह कहते हुए टाल दिया कि कच्चातिवु मुद्दे पर बयानबाजी केंद्र की भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के बीच राजनीतिक वाद-विवाद है।

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हेराथ ने भारतीय मछुआरों पर कच्चातिवु के निकट मछली पकड़ने के लिए श्रीलंका की समुद्री सीमा में घुसने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वे न केवल संसाधनों को लूटते हैं बल्कि समुद्री पौधों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा लेकिन हम निश्चित रूप से जानते हैं कि भारत सरकार श्रीलंकाई जलक्षेत्र में लगातार अवैध मछली पकड़ने के पक्ष में नहीं है।’’

 

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