एक अरब रुपये से अधिक पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि करना है दो सौ से अधिक पत्थर कारोबारी को
- एक सप्ताह के भीतर पत्थर कारोबारी पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि जमा करें
- नहीं तो इकाई बंदी आदेश निर्गत होगा – प्रदुषण विभाग
- एनजीटी के आदेश के बावजूद अब तक नहीं हुआ है पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि जमा
- सैंकड़ों पत्थर कारोबारियों के इकाईयों पर लटक रहा बंदी का ताला
- पत्थर कारोबारियों में मचा हड़कंप व दहशत
- दस दिसंबर को एनजीटी में है सुनवाई
झारखण्ड/साहिबगंज : ज़िले के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सह पर्यावरण प्रेमी सैयद अरशद नसर द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस्टर्न जोन कोलकाता में राजमहल पहाड़ को बचाने व संवर्धन को लेकर तथा जिले में अवैध रूप से संचालित सभी स्टोन माईंस व क्रशर को पुरी तरह से बंद करने व पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना लगाने के लिए दायर याचिका संख्या- ओए 23/2017 में बीते वर्ष दो सौ से अधिक पत्थर कारोबारीयों पर एक अरब से अधिक का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना लगाया गया था परंतु कुछ पत्थर कारोबारी आंशिक पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि जमा कर इकाई को संचालित कर रहे थे जिस पर एनजीटी ने बीते सितंबर माह में सुनवाई के दौरान कड़ा रूख अपनाते हुए इस मामले में झारखंड राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड को फ्रेश हलफनामा दायर कर दस दिसंबर तक इस मामले में अघतन स्थिति स्पष्ट करने को कहा है ताकि इस मामले में दस दिसंबर को सुनवाई हो सके।
एनजीटी के कड़े तेवर के चलते झारखंड राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बख्शी ने जिले के सैंकड़ों पत्थर कारोबारियों को नोटिस निर्गत कर एक सप्ताह के भीतर बकाया पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना राशि जमा करने को कहा है।
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अन्यथा वैसे पत्थर कारोबारी जो एक सप्ताह के भीतर अधीरोपित पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि जमा नहीं करते हैं तो वैसे पत्थर कारोबारी के इकाईयों को जल एंव वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 एवं 1981 के संबंधित धाराओं के अन्तर्गत बंदी आदेश निर्गत किया जाएगा।
प्रदुषण बोर्ड के इस आदेश से पत्थर कारोबारियों में हड़कंप व दहशत मच गया है तथा अब सभी की नज़र इस मामले में दस दिसंबर को एनजीटी में होने वाली सुनवाई पर टिक गयी है।