गांधी परिवार के विरासत का हुआ अंत, जानें क्या है मामला
- टिकट कटने पर छलका वरुण गांधी का दर्द
गांधी परिवार से आने वाले और अपने बयानों के अक्सर चर्चा में रहने वाले वरुण गांधी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। पीलीभीत से टिकट कटने के बाद वरुण गांधी के निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन बुधवार को नामांकन के आखिरी दिन वरुण गांधी ने खुद चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर दिया।
पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट कटने और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को पीलीभीत से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वरुण गांधी का यह पहला रिश्क्शन है।
- टिकट कटने पर छलका दर्द
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा कि वह पीलीभीत सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि बिना किसी भेदभाव के अपने निर्वाचन क्षेत्र और उसके लोगों की भलाई और कल्याण के लिए किए गए मेरे सभी ईमानदार योगदानों के बावजूद मेरे साथ क्या हुआ, इसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। वरुण गांधी पहली बार 2009 में पीलीभीत से लोकसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद 2019 में फिर पीलीभीत से लोकसभा चुनाव जीते थे।
- 3 दशक पुरानी विरासत का अंत
वरुण गांधी के चुनाव नहीं लड़ने के बाद अब यह साफ हो गया है कि पीलीभीत लोकसभा सीट से इस बार सांसद गांधी परिवार के बाहर का ही होगा। गौरतलब है कि पीलीभीत लोकसभा सीट 1989 से भाजपा सांसद मेनका गांधी और फिर वरुण गांधी का गढ़ रही है। वरुण गांधी की मां मेनका गांधी पहली बार 1989 में पहली बार जनता दल के टिकट पर पहली जीत हासिल की थी। वहीं 1991 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी को हार का सामना करना पड़ा था, वहीं इसके बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 और 2014 में मेनका गांधी ने पीलीभीत लोकसभा सीट पर अपना कब्जा जमाया था।
- जितिन प्रसाद भाजपा उम्मीदवार
गांधी परिवार की परंपरागत सीट सही पीलीभीत लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने इस बार वर्तमान सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर योगी सरकार के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया है। बुधवार को भाजपा उम्मीदवार जितिन प्रसाद ने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है। जितिन प्रसाद एक समय में कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और उनकी गिनती राहुल गांधी के करीबी नेताओं के तौर पर होती थी लेकिन जितिन प्रसाद पिछले दिनों कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे।