Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत से सभी बाधाएं होती हैं दूर
आज द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी है, इस दिन गणेश जी पूजा की जाती है। गणेश जी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, तो आइए हम आपको द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के बारे में
पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश की आराधना की जाती है। कई साधक इस दिन व्रत भी करते हैं। ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश संकटनाशन स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। पंडितों का मानना है कि इस स्तोत्र के पाठ से साधक के सभी दुख-दर्द दूर हो सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के दौरान जो साधक बप्पा की पूजा-अर्चना और सच्चे मन से गणेश चालीसा का पाठ करते हैं। उन्हें भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं में छुटकारा मिलता है। 28 फरवरी 2024 को फाल्गुन माह की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन बुद्धि, विद्या और ज्ञान के दाता भगवान गणपति की विशेष पूजा की जाती है। सनातन धर्म में गणपति जी को प्रथम पूज्य माना गया है। इनकी आराधना से जीवन के सारे विघ्न खत्म हो जाते हैं। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी के निमित्त कुछ विशेष उपाय जरुर करें, मान्यता है इससे रोग, दोष दूर होते हैं और घर में खुशियां आती हैं।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेशजी की पूजा करने से आपको शुभ लाभ की प्राप्ति होती है। इस दिन कुछ विशेष वस्तुओं का दान करने से आपके सुख में वृद्धि होती है। आपके ऊपर आए सभी संकट बप्पा दूर करते हैं। आपकी सभी मनोकामनाएं गणेशजी पूर्ण करते हैं। आपके घर में धन वृद्धि होती और आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है और आपको निवेश की योजनाओं में लाभ होगा।
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बिजनेस-नौकरी में तरक्की के लिए ये करें उपाय
कारोबार और करियर में उन्नति के लिए द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, पान, सुपारी, धूप दीप आदि भगवान गणेश को चढ़ाएं और फिर गणपति अर्थवशीर्ष का पाठ करें।
धन वृद्धि के लिए करें ये काम
आर्थिक स्थिति कमजोर है और कर्ज चुकाने में समस्या आड़े आ रही हैं तो संकष्टी चतुर्थी के तीन बत्तियों वाला दीपक लगाएं और ऊं गं गौं गणपते विघ्न विनाशिने स्वाहा का इक्कीस माला जाप करें। पंडितों का मानना है कि इससे बाधाओं से मुक्ति मिलेगी और जल्द कर्ज चुकता कर पाएंगे।
बच्चे के बौद्धिक विकास में होंगे ये उपाय कारगर
जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता या फिर यद्दाश्त कमजोर है तो वह इस दिन विधिवत गणेश रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। पंडितों का मानना है ये मनुष्य के विवेक को जगाता है और बढ़ाता है। वहीं इससे बुध ग्रह को भी मजबूती मिलती है। गणपति जी की कृपा से बौद्धिक विकास होता है।
ग्रह दोष से नहीं होंगे परेशान
सनातन धर्म में गाय को देव पशु माना गया है। मान्यता है कि गाय के अंदर 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है। ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गाय को हरा चारा खिलाने से ग्रह दोष खत्म हो जाते हैं।
चांदी के गणेश होंगे कारगर
घर में सुख-शांति छिन गई है, क्लेश के कारण परिवार में दरार आ गई है तो संकष्टी चतुर्थी के दिन चांदी के गणेश जी की प्रतिमा को अपने घर लेकर आएं। उनका पूजन करें और हल्दी की पांच गांठ गणेश जी को अर्पित करें. मान्यता है इससे घर में सकारात्मकता आती है। परिवार सुखी रहता है।
इन चीजों का करें दान
अगर आप जीवन में किसी तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन हाथी को चारा खिलाएं। पंडितों के अनुसार, ऐसा करने से परेशानी निजात मिलती है। इसके अलावा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के समय श्री गणेश जी को पीले गेंदे का फूल और पांच हरी दूर्वा अर्पित करें। मोदक और फल का भोग लगाएं। इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का दान करें। माना जाता है कि ऐसा करने से इंसान को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर श्रद्धा अनुसार गरीबों में कपड़े और दक्षिणा का दान करें। मान्यता है कि इससे श्री गणेश प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर करें ये काम
अगर आप बिजनेस में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपत्ति बप्पा को 21 दुर्वा की गांठ के साथ गुड़ के लड्डू का भोग लगाएं। माना जाता है कि इस उपाय को करने से आपको बिजनेस में सफलता मिलेगी।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 फरवरी को रात्रि 01 बजकर 53 मिनट पर हो रही है। जिसका समापन 29 फरवरी को प्रातः 04 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी, बुधवार के दिन किया जाएगा।
गणेश संकटनाशन स्तोत्र पाठ के लाभ
संकटनाशन स्तोत्र का वर्णन नारद पुराण में किया गया है। पंडितों का मानना है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक के सभी दुख और सकंट दूर होते हैं। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन के दौरान इस स्तोत्र के पाठ करके आप गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती हैं। इस दिन पूजा में गणेश जी को दर्वा और मोदक जरूर अर्पित करें।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी विधि विधान से पूजा करें। पूजा के समय श्री गणेश जी को पीले गेंदे का फूल और पांच हरी दूर्वा अर्पित करें। पान और फूल और फल चढ़ाएं और मोदक का भोग लगाएं। अगर आप किसी विशेष कार्य में सफलता की कामना लेकर इस दिन गणेशजी की पूजा करते हैं तो उसमें आपको सफलता मिलती है और आपके घर में सुख समृद्धि स्थापित होती है। इस दिन हाथी को हरा चारा या फिर गन्ना जरूर खिलाएं। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान गणेश जी की पूजा करें। उनके लिए व्रत रखें और रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें। पूजा के समय संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा जरूर पढ़ें, जिससे आपको व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होगा। गणेश जी को दूर्वा और मोदक अवश्य अर्पित करें। इससे गणेश जी प्रसन्न होंगे और आपके मनोकामनाओं को पूरा करेंगे।
– प्रज्ञा पाण्डेय