बीजीआर (कोयला लोडिंग साईट) के विरोध में ग्रामीणों ने परम्परागत चुड़का लगाते हुए किया जनता कर्फ्यू का ऐलान
- कोल कंपनी बीजीआर का हो रहा विरोध
- कोयला लोडिंग साइट के विरोध में ग्रामीणों का विरोध चरम पर
- परम्परागत हथियारों से लैस ग्रामीण लगाकर कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन
- हरिनसिंघा स्टेशन के पहुंच मार्गों पर पत्थर व बास बल्ला लगाया
झारखण्ड/दुमका, शिकारीपाड़ा (संवाददाता) : ज़िले के दुमका रामपुरहाट रेल मार्ग के हरिनसिंघा (पागदहा) रेलवे स्टेशन पर कोयला लोडिंग के लिए सरकार द्वारा बीजीआर कंपनी को आवंटित लोडिंग साईट का विरोध ग्रामीणों द्वारा बढ़ता जा रहा है।
बताते चलें कि ग्रामीणों के भारी विरोध के बावजूद कंपनी द्वारा दबाव बनाकर रेलवे स्टेशन पर लोडिंग पॉइंट तो बनाया जा रहा है लेकिन ग्रामीणों का विरोध थमने की बजाय और बढ़ गया है। परंपरागत हथियारों से लैस ग्रामीण लगातार कोल कंपनी एवं बीजीआर कंपनी का विरोध कर रहे हैं।
एक ओर जहां पूरा देश अंग्रेजी नव वर्ष का आनंद उठा रहा है और जश्न में डूबा हुआ है वही शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के प्रभावित गांव के ग्रामीणों ने नव वर्ष के पहले ही दिन हरिनसिंघा स्टेशन के पहुंच मार्गों पर जगह-जगह पर पत्थर लगाकर तथा बास बल्ला लगाकर परंपरागत तरीके से चुड़का लगाते हुए जनता कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है।
लगाए गए बास बल्ले में यह लिखा गया है कि ग्राम सभा की अनुमति के बगैर कोयला गाड़ी घुसाना वर्जित है।
इस तरह का अवरोध चिरुड़ीह, हुलसडगाल, लता कादर, जमरु पानी सहित कई मौजा के मार्गो में जगह-जगह पर लगाया गया है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि बीजीआर कंपनी ग्रामीण पर जितना ही प्रशासनिक दबाव बनाएगी उतना ही उसके लिए नई-नई मुश्किलें आए दिन खड़ी होगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कंपनी काठीकुंड, आमगाछी, भोक्तांनडीह, जामुगाड़िया, शिकारीपाड़ा, चाय पानी, रामगढ़, सहरपुरा, चिरुड़ीह के रास्ते हरिनसिंघा स्टेशन तक कोयला ले जाने की तैयारी में है, जिसके बाद कोयला डस्ट के कारण इस क्षेत्र की जनता का जीना मुहाल हो जाएगा। वहीं आए दिन सड़क दुर्घटनाओं का सामना भी करना पड़ेगा।