Bhaum Pradosh Vrat 2023: भौम प्रदोष व्रत से असाध्य रोगों से मिलती है मुक्ति

0
आज भौम प्रदोष व्रत है, इस दिन शिव जी की उपासना होती है लेकिन मंगलवार के दिन प्रदोष होने का खास महत्व है तो आइए हम आपको भौम प्रदोष व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं। 
जानें भौम प्रदोष व्रत के बारे में 
भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत बहुत खास माना जा रहा है, इस दिन शिव संग बजरंगबली की विशेष कृपा बरसेगी। मंगलवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि के दिन भौम प्रदोष या मंगल प्रदोष व्रत मनाया जाता है। मंगल प्रदोष व्रत में प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव की आराधना करने से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है। 
जानें भौम प्रदोष व्रत का पौराणिक महत्व
शास्त्रों का मानना है कि राम भक्त हनुमान भगवान शिव के रुद्रावतार हैं। प्रदोष व्रत को विधि विधान के साथ रखने से जातक के जीवन में आने वाले सभी संकट खत्म हो जाते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को मांगलिक दोष होता है, तो वे यदि ये व्रत रखते हैं तो वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती है। वही व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

इसे भी पढ़ें: Astro Tips: बरगद के पेड़ के इन उपायों से पूरी होगी नौकरी की चाहत, आप भी आजमाकर देखें

मंगल प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें पूजा 
मंगल प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। प्रदोष व्रत का दिन बहुत खास होता है। इसलिए इस दिन सबसे पहले जल्दी उठें और स्नान करें। नहाने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान शिव को ध्यान करके हाथों में जल और पुष्प लेकर भौम प्रदोष या मंगल प्रदोष व्रत का संकल्प लें। साथ ही भगवान शिव की दैनिक पूजा करें। प्रदोष व्रत के दिन मन में बुरे ख्याल न लाएं। उस दिन दिन में फलाहार करते हुए भगवान शिव का भजन-कीर्तन करें। मंगल प्रदोष में शाम को पूजा करना अनिवार्य है इसके लिए प्रदोष काल की पूजा के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें। अब प्रदोष पूजा मुहूर्त में भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करें।
मंगल प्रदोष के दिन पूजा प्रारम्भ करने से पहले पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन ग्रहण करें। फिर पूजा के लिए भगवान शिव की तस्वीर या प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित कर दें। अब गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। उनको भांग, धतूरा, सफेद चंदन, फल, फूल, अक्षत्, गाय का दूध, धूप आदि चढ़ाएं। साथ में यह याद रखें कि भूलकर भी सिंदूर और तुलसी का पत्ता शिवजी को अर्पित न करें। ऐसा करने से भगवान नाराज हो सकते हैं। पूजा के दौरान पूजा सामग्री उनको अर्पित करते समय ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। 
प्रदोष व्रत शुरू ऐसे करें
अगर आप प्रदोष व्रत शुरू करना चाहते हैं तो किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है। लेकिन श्रावण तथा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। 
प्रदोष व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा 
पंडितों के अनुसार प्रदोष व्रत से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रहती थी। वह रोज अपने बेटे के साथ भीख मांगने जाती थी। एक दिन उसे रास्ते में विदर्भ का राजकुमार मिला जो घायल अवस्था में था। उस राजकुमार को पड़ोसी राज्य ने आक्रमण कर उसका राज्य हड़प लिया और उसे बीमार बना दिया था। ब्राह्मणी उसे घर ले आई और उसकी सेवा करने लगी। सेवा से वह राजकुमार ठीक हो गया और उसकी शादी एक गंधर्व पुत्री से हो गयी। गंधर्व की सहायता से राजकुमार ने अपना राज्य मिल गया। इसके बाद राजकुमार ने ब्राह्मण के बेटे को अपना मंत्री बना लिया। इस तरह प्रदोष व्रत के फल से न केवल ब्राह्मणी के दिन सुधर गए बल्कि राजकुमार को भी उसका खोया राज्य वापस मिल गया। 
  
भौम प्रदोष व्रत के दिन बन रहे हैं ये शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत के दिन शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन शिव योग 13 सितंबर रात्रि 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 27 मिनट से रात्रि 11 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन दोनों शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।
मंगल प्रदोष व्रत के दिन हनुमान चालीसा पढ़ना होगा फायदेमंद
मंगल प्रदोष का प्रदोष व्रत में खास महत्व होता है। मंगल प्रदोष या भौम प्रदोष के दिन कोई व्यक्ति अगर हनुमान चालीसा पढ़ता है तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है।
मंगल प्रदोष पर शिवलिंग की करें आराधना
पंडितों के अनुसार मंगल प्रदोष के दिन किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग की विशेष पूजा-अर्चना करें। इस दिन शिवलिंग पर गन्ने का रस भी अर्पित करें। इससे सेहत सम्बंधी विकार दूर हो जाएंगे। ऐसा करने से शिवजी की विशेष कृपा होती है और दुर्भाग्य दूर हो जाता है। 
भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 सितंबर रात्रि 11 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 13 सितंबर रात्रि 02 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत 12 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर प्रदोष काल शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात्रि 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा।
– प्रज्ञा पाण्डेय

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *