19 वर्ष बाद बन रहा श्रावण अधिमास का संयोग, इस बार 59 दिन का होगा सावन का महीना
इस वर्ष श्रावण (सावन) अधिमास का संयोग 19 वर्ष बाद फिर बन रहा है। इसके चलते चातुर्मास पांच माह का होगा। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक चातुर्मास में भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करेंगे। इस दौरान भगवान शिव जगत्पालन का प्रबंधन संभालते हैं। चातुर्मास की अवधि विवाह, मुंडन, कनछेदन आदि शुभ कार्यों में पांच माह का विराम रहेगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि विक्रम संवत 2080 यानी वर्ष 2023 में 19 वर्ष के बाद श्रावण अधिमास होगा। चार जुलाई से सावन की शुरूआत होगी और 31 अगस्त को श्रावण के दो मास पूरे होंगे। अधिमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। अधिमास के आरंभ के पूर्व सोमवती अमावस्या का पर्व आएगा। अधिमास में शुभ और मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह रोक रहेगी। इसमें भवन बनाना, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठापन, कुएं-बावड़ी खनन आदि सभी बंद रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इससे पहले श्रावण अधिमास का संयोग विक्रम संवत 1847, 1966, 1985, 2004, 2015, 2023, 2042 और 2061 में बना था। इस वर्ष चातुर्मास पांच माह का होगा। आषाढ़ शुक्ल गुरुवार 29 जुलाई को देवशयनी एकादशी होगी। 23 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी को देव जागेंगे। इस बार सावन 59 दिन का होगा। यानि श्रावण मास दो चरणों में रहेगा। सावन के महीने का शिवभक्त इंतजार करते हैं। इस महीने में पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार शिव शक्ति का महीने सावन में दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह दुर्लभ संयोग 19 साल बाद बन रहा है। क्योंकि सुबह शिव शक्ति का महीना एक नहीं बल्कि 2 महीने का रहने वाला होगा। सावन का महीना 4 जुलाई से प्रारंभ होकर 31 अगस्त को समाप्त होगा। ऐसे में सावन का महीना इस बार 30 दिन के बजाय 59 दिन का होगा। साथ ही इस बार मलमास का भी सावन के महीने में रहना होगा। जिसे परसोत्तम मास और अधिक मास भी कहा जाता है। इस बार सावन पहले 13 दिन यानी 4 जुलाई से 17 जुलाई तक चलेगा। इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास मलमास रहेगा। इसके बाद 17 अगस्त को फिर से सावन शुरू हो जाएगा। यानी दो चरणों में सावन का महीना मनाया जाएगा। इस बार सावन के महीने में मणि कंचन योग भी रहेगा।
प्रमुख त्योहारों की तिथियां
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि श्रावण अधिमास के चलते विभिन्न त्योहारों की तिथियों में भी बदलाव आएगा। व्रत की पूर्णिमा 1 अगस्त को रहेगी। संकष्टी चतुर्थी 4 अगस्त, पुरुषोत्तम मास का समापन 16 अगस्त को होगा। व्रत की पूर्णिमा, यजुर्वेदियों का उपाकर्म, रक्षाबंधन अगस्त माह के अंतिम दिनों में 30 अगस्त को होगा। ऋग्वेदियों का उपाकर्म 29 अगस्त को होगा। 31 अगस्त को मास का समापन होगा। आषाढ़ पूर्णिमा से 1 माह बाद रक्षाबंधन होता है। इस वर्ष 2 माह बाद रक्षाबंधन 30 अगस्त को होगा। बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधने आषाढ़ पूर्णिमा के बाद दो माह का इंतजार करेंगी।
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बहेगी शिव भक्ति की बयार
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार सावन का महीना तकरीबन दो माह का होगा। यानि हर सावन में चार या पांच सोमवार ही पड़ते थे और शिवभक्त भगवान भोले की पूजा अर्चना करते थे। लेकिन इस बार सावन में आठ सोमवार पड़ेंगे। इसलिए इस बार दो महीने तक शिव भक्ति की बयार बहती रहेगी। इस दौरान शिव जी का अभिषेक, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, गंगा जल से अभिषेक किया जाएगा। साथ ही भक्त गंगा से कावंड भरकर भी लाएंगे और शिवजी को गंगा जल अर्पित करेंगे।
नहीं होंगे शुभ कार्य
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मलमास में विवाह जैसे कई कार्यों पर रोक रहती है। इसके अलावा नया व्यवसाय भी शुरू नहीं किया जाता। इस मास में कर्णवेध, मुंडन आदि कार्य भी वर्जित माने जाते हैं। इस बार मलमास के कारण सावन दो महीने तक रहेगा। यह संयोग 19 साल बाद आ रहा है। ऐसे में दो महीने तक भोले की भक्ति विशेष फलदायी रहेगी। सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच के अंतराल को मलमास संतुलित करता है। इस मास में शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। ऐसे में गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं होंगे।
13वां महीना होगा मलमास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल पंचांग गणना के अनुसार मलमास लग रहा है जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। संयोग ऐसा बना है कि मलमास सावन महीना में लगा है। जिससे अबकी बार सावन का महीना एक 59 दिनों का होगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि दो महीना इस साल सावन का माना जाएगा। ऐसे में पहला सावन का महीना जो मलमास होगा उसमें सावन से संबंधित शुभ काम नहीं किए जाएंगे। दूसरे सावन के महीने में यानी शुद्ध सावन मास में सभी धार्मिक और शुभ काम किए जाएंगे।
कब से कब तक होगा मलमास
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 18 जुलाई से मलमास का आरंभ हो जाएगा और फिर 16 अगस्त को मलमास समाप्त होगा। अच्छी बात यह है कि मलमास लगने से पूर्व ही सावन की शिवरात्रि 15 जुलाई को समाप्त हो जाएगी लेकिन रक्षाबंधन के लिए करना होगा लंबा इतंजार। सामान्य तौर पर सावन शिवरात्रि के 15 दिन बाद ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है लेकिन मलमास लग जाने से सावन शिवरात्रि और रक्षाबंधन में 46 दिनों का अंतर आ गया है।
सावन सोमवार
सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक