कल 6 शुभ योग में मनाई जायेगी अक्षय तृतीया, जानें शुभ मुहर्त, पूजन विधि व पौराणिक कथा

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  • जानें कैसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को काफी शुभ माना जाता है। इस दिन मांगलिक व शुभ कार्य किए जाते हैं। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जानते हैं। ग्रंथों के मुताबिक इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि है। इस साल अक्षय तृतीया शनिवार 22 अप्रैल को मनाई जाएगी। अक्षय तृतीया पर छह योगों का संयोग बन रहा है। इनमें आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, त्रिपुष्कर योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है। तृतीया से लेकर अगले दिन तक सुबह तक श्रेष्ठ मुहूर्त में विवाह के फेरे लिए जा सकेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार तीन ऐसे मुहुर्त हैं, जिनमें बिना पंचाग देखे कोई भी शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है।
पहला वसंत पंचमी, दूसरा देवउठनी एकादशी और तीसरा महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होता है। इस स्थिति को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया समृद्धि का सूचक है। इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। सोना, चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। तृतीया तिथि 22 अप्रैल को सुबह 7.49 बजे से प्रारंभ होकर 23 अप्रैल को सुबह 7.47 बजे तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को एक शुभ मुहूर्त और महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है। अक्षय तृतीया के त्योहार को आखा तीज कहा जाता है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य किया जा सकता है। अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी करना बेहद शुभ होता है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा है। इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इसलिए इसे परशुराम तीज भी कहते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में अवतार लिया था।
  • पितरों की तृप्ति का पर्व
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इसी दिन बद्रीनाथ धाम के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया पर तिल सहित कुश के जल से पितरों को जलदान करने से उनकी अनंत काल तक तृप्ति होती है। इस तिथि से ही गौरी व्रत की शुरुआत होती है। जिसे करने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। अक्षय तृतीया पर गंगास्नान का भी बड़ा महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
  • तीर्थ स्नान और अन्न-जल का दान
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस शुभ पर्व पर तीर्थ में स्नान करने की परंपरा है। ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया पर किया गया तीर्थ स्नान जाने-अनजाने में हुए हर पाप को खत्म कर देता है। इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इसे दिव्य स्नान भी कहा गया है। तीर्थ स्नान न कर सकें तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है। इसके बाद अन्न और जलदान का संकल्प लेकर जरुरतमंद को दान दें। ऐसा करने से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना पुण्य फल मिलता है।

 

  • दान से मिलता है अक्षय पुण्य
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, घी, चीनी, फल, वस्त्र, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा सहित धर्मस्थान या ब्राह्मणों को दान करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है। अबूझ मुहूर्त होने के कारण नया घर बनाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा जैसे शुभ कामों के लिए भी ये दिन खास माना जाता है।
  • अक्षय तृतीया 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शनिवार 22 अप्रैल को सुबह 07:49 मिनट से शुरू हो रही है। यह तिथि अगले दिन 23 अप्रैल को सुबह 07:47 मिनट तक है। इस साल अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 को है।
  • अक्षय तृतीया मुहूर्त
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:49 मिनट से दोपहर 12:20 मिनट तक है।अक्षय तृतीया पर पूजा का मुहूर्त साढ़े चार घंटे तक है।
  • 6 शुभ योगों से अक्षय तृतीया पर ‘महायोग’
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन 6 शुभ योग बन रहे हैं। जो उस दिन ‘महायोग’ ही है। अक्षय तृतीया पर आयुष्मान योग प्रात:काल से लेकर सुबह 09:26 मिनट तक है, उसके बाद से सौभाग्य योग प्रारंभ होगा। जो पूरी रात रहेगा। अक्षय तृतीया पर त्रिपुष्कर योग सुबह 05:49 मिनट से सुबह 07:49 मिनट तक है। रवि योग रात में 11:24 मिनट से अगली सुबह 05:48 मिनट तक है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग रात 11:24 मिनट से अगले दिन सुबह 05:48 मिनट तक रहेगा।
आयुष्मान योग – प्रात: काल से लेकर सुबह 09:26 मिनट तक
सौभाग्य योग – सुबह 09:26 मिनट से पूरी रात तक
त्रिपुष्कर योग – सुबह 05:49 मिनट से सुबह 07:49 मिनट तक
रवि योग – रात में 11:24 मिनट से शुरू होकर अगली सुबह 05:48 मिनट पर समाप्त होगा
सर्वार्थ सिद्धि योग – रात 11:24 मिनट से अगले दिन सुबह 05:48 मिनट तक रहेगा
अमृत सिद्धि योग – रात 11:24 मिनट से अगले दिन सुबह 05:48 मिनट तक रहेगा
  • ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का प्राकट्य दिवस
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को युगादि तिथि भी कहते हैं। अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षय न हो। इस तृतीया का विष्णु धर्मसूत्र, भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण और नारद पुराण में उल्लेख है। ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का इसी दिन प्राकट्य दिवस रहता है। दान के लिए खास दिन इस दिन अत्र व जल का दान करना शुभ माना है। खास कर जल से भरा घड़ा या कलश किसी मंदिर या प्याऊ स्थल पर जाकर रखना चाहिए। ऐसा करने से सुखसमृद्धि बढ़ती है। इस दिन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, गृह प्रवेश व अन्य मंगलकार्य करना विशेष फलदायी रहता है।
  • भगवान विष्णु ने लिए कई अवतार
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है, क्योंकि इसी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। परशुराम जी चिरंजीवी माने जाते हैं यानी ये सदैव जीवित रहेंगे। इनके अलावा भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव अवतार भी इसी तिथि पर प्रकट हुए थे।
  • विष्णु-लक्ष्मी की विशेष पूजा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी और लक्ष्मी जी पूजा करें। सबसे पहले गणेश पूजन करें। इसके बाद गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर दक्षिणावर्ती शंख में भरकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं का अभिषेक करें। इसके बाद शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल, इत्र आदि अर्पित करें। खीर, पीले फल या पीली मिठाई का भोग लगाएं। पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। किसी मंदिर में या जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, जूते-चप्पल, वस्त्र, छाते का दान करें। सूर्यास्त के बाद शालिग्राम के साथ ही तुलसी के सामने गाय के दूध से बने घी का दीपक जलाएं। अक्षय तृतीया पर किसी सामूहिक विवाह में धन राशि भेंट करें। किसी अनाथ बालिका की शिक्षा या उसके विवाह में आर्थिक मदद करें।
  • अक्षय तृतीया का महत्व 
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन विवाह के साथ वस्त्र, आभूषण, भवन व वाहन आदि की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन धार्मिक कार्य शुभ फलदायी माने जाते हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन दान करने से सुख-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है। अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में महत्व माना गया है। इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ कार्य किया जा सकता है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों, मकान, वाहन आदि की खरीददारी कार्य किए जा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान फलदायक होती है। वह पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है।
  • पूजा विधि
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखें। सूर्योदय से पहले स्नान कर लें। फिर पीले कपड़े पहने। घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान को पीले फूल और तुलसी अर्पित करें। अब दीप और अगरबत्ती जलाकर आसन पर बैठे। विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्तरनाम का पाठ करें। आखिर में श्रीहरि की आरती करें।
अक्षय तृतीया पर पूजा मंत्र
ऊँ नमो भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।
पौराणिक कथा 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। यही कारण है कि इस दिन को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। इस दिन परशुराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।मान्यता है कि इस दिन भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। एक मान्यता यह भी है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ। इसलिए कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन रसोई घर व अनाज की पूजा जरूर करनी चाहिए। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना शुरू किया था। इस ग्रंथ में श्री भगवत गीता भी समाहित है। इसलिए इस दिन श्री भगवत गीता के 18वें अध्याय का पाठ अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही नर-नारायण ने भी अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को शुभ माना जाता है।
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक
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