क्या है साइबर बुलिंग और क्या कहता है भारत का कानून?

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  • 3 साल तक की जेल और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान

इंटरनेट के माध्यम से किसी को धमकाना, प्रताड़ित करना, ब्लेकमेलिंग करना, पीछा करना, अश्लील सामग्री जैसे टैक्स्ट मैसेज, फोटो, ऑडियो वीडियो आदि भेजना साइबर बुलिंग की श्रेणी में आता है। डिजिटल वर्ल्ड के विस्तार और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के कारण पिछले कुछ सालों से इस तरह की घटनाएं भी ज्यादा सामने आ रही हैं। ऐसे में हर किसी को सावधान रहने की जरूरत है।

 

 

कैनेडियन शिक्षक बिल बेल्सी ने सबसे पहले साइबर बुलिंग शब्द का प्रयोग किया था। इसका मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाना है। साइबर बुलिंग से जुड़े अपराधों को मोबाइल फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से अंजाम दिया जाता है।

 

 

साइबर बुलिंग से जुड़े मामलों में आईटी एक्ट (IT Act) के साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं में भी सजा का प्रावधान है। पहचान चोरी करना या गोपनीयता भंग करने के मामले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (संशोधित) 2008 (Information Technology Act (Amended) 2008) की धारा 43, धारा 66-सी, धारा 66-ई, आईपीसी की धारा 419 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इस तरह के मामले में 3 साल तक की जेल और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

 

 

  • पोर्गोग्राफी और यौन उत्पीड़न

इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी भी साइबर बुलिंग का ही एक तरीका है। इस तरह के मामलों में सूचना प्रौद्योगिकी कानून (संशोधन) 2008 की धारा 66 तथा 67, आईपीसी की धारा 292, 293, 294 एवं 500 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। अपराध साबित होने पर दोषी व्यक्ति को 5 साल तक की सजा तथा 10 लाख रुपए तक का जुर्माना किया जा सकता है।

 

 

  • ऑनलाइन छेड़छाड़ 

साइबर स्टॉकिंग जिसे ऑनलाइन छेड़छाड़ या इंटरनेट के माध्यम से पीछा करना या निगरानी करना भी कहा जाता है। इसमें किसी महिला या पुरुष की इंटरनेट, ईमेल या इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों से निगरानी, उसकी इच्छा के विरुद्ध संपर्क करने के लिए परेशान करना शामिल है। साइबर स्टॉकिंग को आईपीसी की धारा 354-सी एवं 354-डी के तहत अपराध माना गया है। दोष सिद्ध होने पर पहली बार 3 साल की सजा तथा दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

 

 

इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से ब्लैक मेलिंग या आपराधिक धमकी देना भी साइबर बुलिंग का ही एक रूप में इस तरह के मामलों 2 साल तक की सजा का प्रावधान है। वहीं यदि धमकी किसी का मृत्यु का कारण बन जाती है तो दोषी को उम्रकैद की सजा का प्रावधान।

 

  • कैसे और कहां करें शिकायत 

राष्ट्रीय स्तर के साइबर एक्सपर्ट प्रो. गौरव रावल ने बताया कि साइबर बुलिंग से जुड़े मामलों में आप राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। महिलाएं यहां पर अपनी पहचान उजागर किए बिना भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। पोर्टल पर आप अपनी शिकायत की स्थिति को भी जान सकते हैं।

 

इसके साथ ही आप अपने निकटतम थाने में स्वयं प्रस्तुत होकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि आपको लगता है कि थाने में आपको मदद नहीं मिल पा रही है तो आप जिले में क्राइम ब्रांच के दफ्तर में जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि किसी ने फोटो और वीडियो अपलोड किए हैं तो शिकायत के बाद उस आईडी को ब्लॉक करने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सकेगी। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।

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