नवरात्रि स्पेशल : शुभ मुहूर्त व घटस्थापना की विधि, जानिए हर महत्वपूर्ण बातें
हमारे देश में कई त्यौहार बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाए जाते हैं और सभी त्यौहारों का विशेष ऐतिहासिक पृष्ठभूमि मौजूद है। शरद नवरात्र इन्हीं त्यौहारों में से एक है। नवरात्र में देवी शक्ति के नौ रूपों को पूजा जाता है।
इससे पहले कि हम शारद नवरात्र के विषय में विस्तार से जानें, आपको बता दें कि वर्ष में चार नवरात्रि मनाए जाते हैं, जिसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि प्रमुख रूप से मनाए जाते हैं। इन दिनों जो नौ देवियों की पूजा की जाती है, वे हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। शक्ति की उपासना का यह पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जा रहा है।
- शारदीय नवरात्र के लिए शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का आरंभ होगा यानी यह पर्व 26 सितंबर, सोमवार से शुरू होगा जो कि 5 अक्टूबर तक चलेगा।
शुभ मुहूर्त :
अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा आरंभ – 26 सितंबर 2022 को प्रात:काल 3 बजकर 24 मिनट
अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा समापन- 27 सितंबर 2022 को प्रात:काल 03 बजकर 08 मिनट
अभिजीत मुहूर्त- 26 सितंबर को सुबह 11 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 42 मिनट तक
घटस्थापना मुहूर्त – 26 सितंबर 2022 को प्रात:काल 06 बजकर 20 मिनट से लेकर सुबह के समय 10 बजकर 19 मिनट तक
- घटस्थापन की विधि
नवरात्रों में घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। वैसे भी यह कहा जाता है कि नवरात्रि के दिनों में देवी मां की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए, अन्यथा इसका सुखद फल प्राप्त नहीं होता है।
- घटस्थापना के लिए सभी नियम
सबसे पहले नवरात्र के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त पर ही कलश स्थापना की जानी चाहिए। कलश स्थापना के लिए एक मिट्टी के पात्र लें। इसमें मिट्टी और उसमें जौ बोएं। पूजा स्थान के लिए ईशान कोण चुनें। ईशाण कोण की ओर कलश स्थापन करना चाहिए। कलश स्थापना से पहले पूजा स्थान को गंगाजल छिड़कर साफ कर लें।
सफाई के बाद पूजा की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इस कपड़े पर मां दुर्गा की तस्वीर की स्थापना करें। एक तांबे के कलश में गंगा जल भरकर इसमें सिक्का, अक्षत सुपारी, दो लौंग, दूर्वा घास मिलाएं। कलश के मुख पर मौली बांधना न भूलें। कलश में आम के पत्ते लगाएं और उस पर नारियल रखें।
जौ वाले कलर और तांबे के कलश को मां दुर्गा की तस्वीर की दायीं दिशा में स्थापित करें।
- माता के लिए तिथि अनुसार भोग
जिस तरह हम नवरात्रि में घट स्थापना को नियमों के साथ करते हैं, उसी तरह प्रत्येक दिन माता को अलग-अलग भोग चढ़ाया जाता है।
- किस दिन कौन सा भोग चढ़ाएं
प्रथम : प्रतिपदा को देवी की साधना हमेशा गौ घृत से षोडशोपचार पूजा करें। देवी मां को गाय का घी अर्पित करें।
द्वितीया: दूसरे दिन माता को शक्कर का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद इसका दान करना चाहिए। माना जाता है कि शक्कर दान करने से दीर्घ आयु होती है।
तृतीय : तीसरे दिन पूजा के लिए दूध का उपयोग किया जाता है। मां को दूध अर्पित करने के बाद इस दूध को ब्राह्मण को दान दिया जाता है।
चतुर्थी : इस दिन मालपुआ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। अर्पित नैवेद्य बाह्मण को दान कर देना चाहिए।
पंचमी : इस दिन देवी भगवती को केले का नैवेद्य चढ़ाएं। इससे जातक में विवेक बढ़ता और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
षष्ठी : इस दिन माता को शहद चढ़ाया जाता है। इससे व्यक्ति का सौंदर्य और आकर्षण बढ़ता है। साथ ही अर्पित किया हुआ शहद ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
सप्तमी : सप्तमी के दिन माता के लिए गुड़ का नैवेद्य तैयार किया जाता है। इसे भोग के रूप में चढ़ाने के बाद ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है।
अष्टमी : अष्टमी तिथि को भगवती को नारियल का भोग लगाना चाहिए।
नवमी : इस दिन माता की पूजा धान के लावा से करना चाहिए।
शारदीय नवरात्रि 2022 तिथि
तिथि मां दुर्गा के नौ रूप और तिथि
26 सितंबर 2022, सोमवार माता शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
27 सितंबर 2022, मंगलवार माता ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीय तिथि
28 सितंबर 2022, बुधवार माता चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
29 सितंबर 2022, गुरुवार माता कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
30 सितंबर 2022, शुक्रवार माता स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
1 अक्टूबर 2022, शनिवार माता कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
2 अक्टूबर 2022, रविवार माता कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
3 अक्टूबर 2022, सोमवार माता महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी
4 अक्टूबर 2022, मंगलवार महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
5 अक्टूबर 2022, बुधवार माता दुर्गा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)
– मिताली जैन