शपथग्रहण समारोह में दिखा इतिहास, वर्तमान और भविष्य वाला नजारा

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  • अटल का मार्गदर्शन, मोदी का वचन और योगी का शासन
25 मार्च को शाम 4 बजे योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। लखनऊ के इकाना स्टेडियम में योगी कैबिनेट 2.0 का शपथ ग्रहण कई मायनों में खास रहा। लखनऊ से अटल जी का गहरा नाता रहा है और ये किसी से छुपा भी नहीं है। बल्कि लखनऊ को अटल की कर्मभूमि भी कहा जाता है। वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तर प्रदेश की शुरुआत तो उसी दिन हो गई थी जब पहली दफा लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने महादेव की नगरी काशी को चुनते हुए कहा था कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है।
जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीएम बनने से पहले से ही गोरखपुर के गोरक्षपीठ के महंत हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के योगी 2.0 के शपथ ग्रहण में बीजेपी के इतिहास, वर्तमान और भविष्य की राजनीति की झलक भी नजर आती है।

 

 

 

 

 

इतिहास: जिस स्टेडियम में योगी आदित्यनाथ ने शपथ लिया उसे साल 2018 में पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम’ के नाम से मंगलवार को राष्ट्र को समर्पित किया गया। लखनऊ जन्मभूमि तो अटल की नहीं थी, लेकिन कर्मभूमि जरूर हो गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ संसदीय सीट से लगातार पांच बार सांसद थे। मगर दो बार इस सीट से उन्होंने हार का स्वाद भी चखा था।
उन्होंने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘आप लोगों ने क्या सोचा था, मुझसे पीछा छूट जाएगा। तो मैं बता दूं यह होने वाला नहीं। मेरो मन अनत कहां सुख पावे, लखनऊ मेरा घर है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘इतनी आसानी से मुझसे रिश्ता नहीं तोड़ सकते। मेरा नाम भी अटल है। देखता हूं कि कब तक मुझे सांसद नहीं बनाओगे।

 

 

 

 

 

 

वर्तमान: एक दौर ऐसा आया जब वाराणसी में केसरिया रंग के आगे बाकी सारे रंग फीके पड़ गए थे। हर हर मोदी घर घर मोदी के नारे के साथ बचपन में चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी ने जब काशी के लोगों को यह बताया कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है तो बनारस के नौजवान से लेकर हर तबके के इंसान ने सभी दलों की चुनावी केतली खाली करके भाजपा का प्याला वोटों से भर दिया था। वाराणसी में मोदी ने गंगा को याद किया उनकी आराधना की गंगा आरती की, बाबा विश्वनाथ को नमन किया और नमन किया वाराणसी के मतदाताओं को जिन्होंने देश की सबसे बड़ी पंचायत के लिए मोदी को अपना नुमाइंदा चुना। साल 2022 के चुनाव को लेकर जब य़ोगी-मोदी के बीच की कैमिस्ट्री पर कई सवाल उठ रहे थे।  मुख्यमंत्री योगी के कंधे पर हाथ रखकर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें जो कुछ समझाया, उसे योगी ने ऐसे समझ लिया कि विपक्ष मुंह ताकता रह गया।

 

 

 

 

 

भविष्य: साल 2022 के चुनाव में योगी ने इतिहास की छाती पर चढ़कर अपने पराक्रम का लोहा मनवा लिया। 2017 की तुलना में भले ही उनकी कुछ सीटें कम हुई है। लेकिन वोट बढ़ गए हैं। अब ये महत्वपूर्ण नहीं रह गया कि योगी फिर से यूपी के मुख्यमंत्री बनेंगे. बल्कि बात इससे आगे की उठने लगी कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से आगे योगी के लिए क्या है? अब तक बीजेपी में नंबर 1 और नंबर 2 की जो पोजिशन थी वो बिल्कुल साफ थी। राजनीति की आम बोलचाल में भी मोदी-शाह की जोड़ी का जिक्र नंबर 1 नंबर 2 के रूप में किया जाता था। यानी नंबर तीन की कोई व्यवस्था ही नहीं थी लेकिन उत्तर प्रदेश के नतीजों ने योगी आदित्यनाथ को इस स्थिति में ला दिया है कि उन्हें चाहे दबे स्वर में ही सही नंबर 3 कहा जाने लगा है।
आकाश भगत

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