• नीतीश कुमार के गुस्से के मायने को समझिए
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों सुर्खियों में हैं। बिहार विधानसभा में जिस तरीके से उनके और विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच तकरार देखने को मिला, उससे कई सवाल जन्म ले रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या बिहार की राजनीति में सब कुछ ठीक-ठाक है? क्या नीतीश कुमार भाजपा से नाराज चल रहे हैं? क्या आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में कोई बड़ा खेला होने वाला है?
दरअसल, यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि भाजपा ने जिस तरीके से उत्तर प्रदेश सहित चार राज्य में प्रचंड जीत हासिल की है, उससे उसका आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। माना जा रहा है कि बिहार में बड़ी पार्टी होने के बावजूद भी भाजपा ने नीतीश कुमार को बतौर मुख्यमंत्री स्वीकार किया है। लेकिन इन राज्यों में मिली जीत के बाद अब स्थिति बदल सकती है। इस बात की चर्चा बिहार की राजनीति में खूब है।

 

 

 

 

दरअसल, लखीसराय के मुद्दे पर बिहार विधानसभा में चर्चा हो रही थी। बार-बार सवाल पूछे जाने को लेकर नीतीश कुमार भड़क गए। बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा खुद लखीसराय से भाजपा के विधायक हैं। नीतीश कुमार जिस तरीके से भड़के हैं, उससे बिहार की राजनीति में एक नया तड़का दिखाई दे रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में कुछ बड़ा हो सकता है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि बिहार में भाजपा नीतीश कुमार पर मुख्यमंत्री पद के लिए दबाव बना सकती है। यह बात तो सच है कि बिहार की राजनीति को नीतीश कुमार से बेहतर कोई नहीं समझता है। आने वाली स्थिति की भनक को समझते हुए नीतीश कुमार ने भाजपा को यह दिखा दिया कि मुझे कमजोर समझने की कोशिश ना करें।

 

 

 

 

 

 

सुबह में विधानसभा में स्पीकर के साथ बहस के बाद शाम को मुख्यमंत्री राज्यपाल फागू चौहान से मिलने पहुंच जाते हैं। फागू चौहान के साथ उनकी जो फोटो आती है उसमें वे दोनों काफी खुश नजर आते हैं। माना जा रहा है कि कहीं न कहीं नीतीश कुमार ने खुद यह दिखाने की कोशिश की कि वह संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करते हैं। दरअसल, स्पीकर के साथ बहस के बाद नीतीश कुमार पर आसन का सम्मान नहीं करने का आरोप विपक्ष लगा रहा है। नीतीश कुमार को स्पीकर ने बार-बार समझाने की कोशिश की। बावजूद इसके नीतीश कुमार पर असर नहीं दिखा। बाद में स्पीकर ने खुद ही कह दिया कि आप हमेशा कहते हैं कि आप की सरकार न्याय के साथ विकास करती है। मैं इस सदन का संरक्षक हूं और मेरा काम भी विधायिका की गरिमा की रक्षा करना है।

 

 

 

 

 

हालांकि आज विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा सदन की कार्यवाही के लिए नहीं पहुंचे। उन्होंने भाजपा विधायक प्रेम कुमार को भेज दिया। इसके बाद से कयासों का दौर और भी शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार से जुबानी तकरार के बाद विजय कुमार सिन्हा नाराज हो गए हैं। फिलहाल भाजपा इस मामले को लेकर चुप है। लेकिन कहीं ना कहीं जदयू डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। आज जब आरजेडी विधायकों ने कल के मुद्दे को उठाया तो नीतीश के करीबी और संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने असंसदीय य फिर अशोभनीय टिप्पणी नहीं की थी। विधायिका और कार्यपालिका का क्षेत्र अलग है और दायित्व भी अलग है और दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
आकाश भगत

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