प्रबंधन बदला, क्या बदलेगी तकदीर? TATA द्वारा अधिग्रहण के बाद Air India से जुड़ी अहम चुनौती
आप में से बहुत सारे लोगों ने अपने जीवन में हवाई यात्रा जरूर की होगी। हवाई जहाज के उड़ान भरते समय पायलट यात्रियों का स्वागत करते हुए अपना और चालक दल के सदस्यों का आपसे परिचय कराते हैं। लेकिन 28 जनवरी को एयर इंडिया से यात्रा करने वाले यात्रियों को येबताया गया कि वो ऐतिहासिक यात्रा पर है। क्योंकि इसी दिन ये एयर इंडिया का विमान ने टाटा समूह का हिस्सा बनकर उड़ा भरी। एयर इंडिया ने वर्षों बाद घर वापस की और इसकी शुरुआत अप्रैल 1932 में उ टाटा एयर सर्विस के रूप में हुई थी। जेआरडी टाटा ने अपनी पहली व्यवसायिक उड़ान 15 अक्टूबर को भरी। उस समय वो सिंगल ईंजन वाले हेलीपैड बसमूथ हवाई जहाज को अहमदाबाद से होते हुए करांची से मुंबई ले गए थे। उनकी इस उड़ान में कोई सवारी नहीं थी बल्कि 25 किलो चिट्ठियां थी।
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“1932 में एक रोमांचक अक्टूबर की सुबह एक बसमूथ से मैंने कराची से अपनी पहली डाक लिए बंबई के लिए उड़ान भरी। जैसे ही हम 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अपने गंतव्य की ओर बढ़े। मैंने अपने उद्यम की सफलता और इसके लिए काम करने वालों की सुरक्षा के लिए एक मौन प्रार्थना की।” – जेआरडी टाटा
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जेआरडी की मौन प्रार्थना का फल टाटा को वर्षों बाद मिल ही गया। करीब सात दशक के बाद एअर इंडिया की घर वापसी हो गई है। एयर इंडिया में सरकार की पूरी हिस्सेदारी टाटा संस की सब्सिडियरी कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई है। अब से एयर इंडिया का नया मालिक टाटा ग्रुप है। कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के लिए बिड अक्टूबर 2021 में टाटा सन्स की इकाई ने जीती। एयर इंडिया को वर्ष 2007 में इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से भारी नुकसान हो रहा है और उसने 31 मार्च, 2020 तक लगभग 70,820 करोड़ रुपये का घाटा उठाया है।
कई चुनौतियां हैं सामने
टाटा संस भारत का एक बड़ा उद्योग घराना है। टाटा संस की वित्तीय सहायता बहुत अच्छी है और इस लिहाज से टाटा के पास एयर इंडिया की कमान जाने से उसके लिए ये बहुत बड़ी राहत की बात है। टाटा ने एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ रुपए में खरीदा है। साथ ही उसे एयर इंडिया का 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज चुकाना है। टाटा के सामने सबसे बड़ी चुनौती एयर इंडिया को घाटे से उबारकर मुनामा कमाने वाली कंपनी बनाना है। कोरोना संकट की वजह से एविएशन बाजार को तगड़ा झटका लगा है। महामारी ने एयरलाइन उद्योग को अपने अस्तित्व को लेकर अब तक के सबसे बड़े संकट में धकेल दिया है। हालांकि कोरोना संकट से पहले भी भारत में एयरलाइंस कंपनियों का कारोबार काफी प्रभावित हुआ था। देश में घरेलू कैरियर के मामले में कभी दूसरे नंबर पर रही किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड का साल 2012 में कामकाज बंद हो गया था, जबकि जेट एयरवेज लिमिटेड साल 2019 में कॉलेप्स कर गई थी, जिसे हाल में ही दोबारा उड़ान भरने की मंजूरी मिली है।
विजन, मिशन और स्ट्रैटजी
इसके अलावा टाटा के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रुप के लिए एक नया ‘विजन, मिशन और स्ट्रैटजी’ बनाने की है, जो अलग मॉडल, डबलिंग रूट्स में कटौती, सर्विसेज और मार्केट्स और विभिन्न ग्रुप्स के कर्मचारियों की हैंडलिंग के साथ एक नए एयरलाइन सिस्टम को परिभाषित करेगा। इसके बाद बेड़े का उन्नयन और रखरखाव आता है। जबकि एयर इंडिया के पास 141 विमानों का एक बेड़ा है, जो संकीर्ण और चौड़े शरीर वाले एयरबस और बोइंग विमानों का मिश्रण है, एयरलाइन ने उनमें से केवल 118 को उड़ान योग्य स्थिति में टाटा को सौंपने पर सहमति व्यक्त की है। एयर इंडिया को भी 787 बेड़े के लिए पुर्जों और इंजनों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
महत्वपूर्ण चुनौती यह है कि टाटा समूह अपने विमानन हितों की संरचना कैसे करेगा। विस्तारा के चेयरमैन भास्कर भट ने एक बिजनेस डेली को बताया है कि एयरलाइन एयर इंडिया के साथ सह-अस्तित्व में रहेगी और फिलहाल उनके बीच विलय की कोई बातचीत नहीं है। हाल ही में डेयरी दिग्गज अमूल ने एयर इंडिया के अधिग्रहण को बहुत अच्छी तरह से अभिव्यक्त किया है। कंपनी ने इंस्टाग्राम पर रोचक अंदाज में रिएक्ट किया है, अमूल ने टाटा और एअर इंडिया की इस हिस्टोरिकल डील पर अपना नया कार्टून बनाया है। कार्टून में सबसे ऊपर बॉलीवुड के एक पुराने गाने की तर्ज पर मोटे अक्षरों में लिखा गया है…टाटा रहे मेरा दिल। वहीं नीचे लिखा गया है…Amul in good hands अमूल इंडिया ने इसके साथ कैप्शन दिया है, अमूल टॉपिकल: टाटा ग्रुप को हैंडओवर हुई एअरइंडिया।
