Punjab Election 2022 | अब पंजाब के स्टेट आइकन नहीं हैं सोनू सूद, चुनाव आयोग ने रद्द की नियुक्ती
जब जब लॉकडाउन का भारत में संकट गहराता हैं तब तक गरीबों का दुख-दर्द समझने वाले सोनू सूद का नाम चर्चा में आता हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए मसीहा बने सोनू सूद पर्दे के नहीं असल जिंदगी के हीरो है। उन्होंने जो कुछ भी गरीबों के लिए लॉकडाउन की स्थिति में किया उनसे लिए प्रवासी लोग उन्हें रोज दुआएं देते हैं। सोनू सूद का नाम काफी दिनों से विवादों से जोड़ा जा रहा हैं लेकिन सोनू ने इस मुद्दों पर कभी खुल कर बात नहीं ही।
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सोनू सूद की पंजाब के ‘‘राज्य प्रतीक’ के तौर पर नियुक्ति रद्द
सोनू को कुछ बयानों को लेकर उन्हें कई राजनीतिक पार्टियों ने भी अपने साथ आने के लिए अप्रोच किया। सोनू को कई राजनेताओं के साथ मीटिंग करते हुए तो तस्वीरें आयी लेकिन किसी पार्टी में शामिल होने की खबरें नहीं आयी। अब ताजा जानकारी के अनुसार भारत के निर्वाचन आयोग ने अभिनेता सोनू सूद की पंजाब के ‘‘राज्य प्रतीक’ के तौर पर नियुक्ति रद्द कर दी है।
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ईसीआई ने किया थआ सोनू सूद को पंजाब का ‘आइकॉन’ नियुक्त
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस करुणा राजू ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। वहीं, बॉलीवुड अभिनेता ने कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से पद छोड़ दिया क्योंकि परिवार का एक सदस्य आगामी विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने करीब एक साल पहले सोनू सूद को पंजाब का ‘आइकॉन’ नियुक्त किया था। राजू ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग ने सूद की पंजाब के ‘राज्य के प्रतीक’ के तौर पर नियुक्ति को चार जनवरी को रद्द कर दिया है।
स्टेट आइकन ऑफ पंजाब’ के पद से स्वेच्छा से हट गया हूं: सोनू सूद
उल्लेखनीय है कि अभिनेता और समाज सेवी सोनू सूद ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि उनकी बहन मालविका राजनीति में आ रही हैं, लेकिन उनकी ऐसी कोई योजना नहीं है। सूद ने एक ट्वीट में कहा, “हर अच्छी चीज की तरह, इस सफर का भी अंत होना था। मैं ‘स्टेट आइकन ऑफ पंजाब’ के पद से स्वेच्छा से हट गया हूं।”
प्रवासियों के मसीहा सोनू सूद
सूद मूल रूप से पंजाब के मोगा जिले के हैं और कोविड महामारी के दौरान प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने में मदद करने की वजह से चर्चा में आए थे। उन्होंने कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हुए और जगह-जगह फंसे प्रवासी कामगारों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की थी। उनके मानवतावादी काम की समाज के सभी वर्गों ने प्रशंसा की थी।