राज्यपाल राजनीति न करें, संवैधानिक पद का करें सम्मान: नाना पटोले

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मुंबई। महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार की योजना नियमों को ध्यान में रखते हुए  विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कार्यक्रम को आयोजित करने की थी, लेकिन सरकार की कोशिशों के बावजूद यह चुनाव नहीं हो सके। यह बात महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने कही है। उन्होंने कहा कि  नियमों में बदलाव करना विधायिका का विशेषाधिकार है, इसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं है। पटोले ने कहा कि राज्यपाल को संवैधानिक पद का सम्मान करना चाहिए न कि राजनीति करना चाहिए।

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गांधी भवन में संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए पटोले ने आगे कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राज्यपाल को पत्र भेजकर पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी गई थी। सरकार ने इस बात का ध्यान रखा था कि कहीं भी राज्यपाल के पद की गरिमा का अपमान न हो। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की पूरी प्रक्रिया एक दिन में पूरी हो सकती थी। यही वजह है कि महाराष्ट्र विधान मंडल के शीत सत्र के आखिरी दिन  की सुबह भी सरकार की ओर से राज्यपाल को फिर से एक पत्र भेजा गया। लेकिन चुनाव की मंजूरी नहीं मिली। ऐसे में माविआ सरकार ने इस सत्र में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने से परहेज किया है ताकि कानूनी संकट पैदा न हो। पटोले ने कहा कि अब यह चुनाव अगले साल फरवरी महीने में आयोजित होने वाले  बजट सत्र के दौरान होगा। 

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नाना पटोले ने कहा कि विपक्षी दल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की धमकी दे रहे हैं। लेकिन माविआ सरकार ऐसी धमकियों से नहीं डरती है ।उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने राज्यपाल के माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में बाधा डालने का काम किया है । पटोले ने कहा कि कोरोना की वजह से अब तक के अधिवेशन कम कार्यकाल के रहे हैं, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव नहीं हो सके हैं । उन्होंने कहा कि इस बार प्रक्रिया पूरी हो सकती थी लेकिन भाजपा ने ही इसमें बाधा डालने का काम किया है । इससे भाजपा की दोहरी भूमिका उजागर हो गई है। पटोले ने यह भी कहा कि चूंकि सरकार के पास 174 विधायकों का बहुमत है, इसलिए विपक्ष द्वारा वॉयस वोटिंग के जरिए  चुनाव कराने के फैसले पर लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।

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