संसद के शीतकालीन सत्र में मंजूर हुए कई महत्वपूर्ण विधेयक, जानिए इनके बारे में
हाल में ही संसद का शीतकालीन सत्र संपन्न हुआ है। संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों का किसानों के मुद्दे और लखीमपुर हिंसा मामले को लेकर हंगामा जारी रहा। इसके अलावा 12 सांसदों के निलंबन का मुद्दा भी गर्म रहा। इन सब के बीच संसद के दोनों सदनों में कामकाज हुआ। 29 नवंबर से शुरू हुए इस सत्र में 18 बैठकें हुई और सदन में 82 प्रतिशत कामकाज हुआ। राज्यसभा में भी 18 बैठकें हुई और इनकी उत्पादकता 47.90 प्रतिशत रही। राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान 10 विधेयक पारित हुए जबकि कई पर चर्चा हुई। संसद के शीतकालीन सत्र में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक को मंजूरी दी गई। वहीं, ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी मिली। दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिली जबकि लोकसभा में राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी विधेयक, 2021 पेश हुआ। इन्हीं सभी विधेयकों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
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स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक को मंजूरी दी
संसद के शीतकालिन सत्र में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) संशोधन विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी गई। इसे त्रिपुरा उच्च न्यायालय के एक आदेश के मद्देनजर कुछ त्रुटियों को दूर करने के लिये लाया गया है। कानून बनने के बाद यह विधेयक इस संबंध में लाए गए एक अध्यादेश का स्थान लेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में विधेयक पर हुयी संक्षिप्त चर्चा का जबाव देते हुए कहा कि अध्यादेश इसलिए जरूरी था क्योंकि अदालत का आदेश था और उस समय संसद का सत्र नहीं चल रहा था। सीतारमण ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने 2014 में संबंधित कानून में हुए संशोधन में विसंगति की ओर इशारा किया था। सीतारमण ने कहा कि यही मामला त्रिपुरा उच्च न्यायालय में भी आया और उसने विसंगति को तत्काल सुधारने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसलिए विसंगति को दूर करने के लिए अध्यादेश लाया गया। त्रुटियों को दूर करने में लगे समय का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि वह त्रुटि पूर्ववती संप्रग सरकार के कार्यकाल में एक विधेयक में की गयी थी जिसे 2011 में पेश किया गया था और वह विधेयक फरवरी 2014 में पारित हुआ तथा 2014 के आम चुनाव से पहले एक मई 2014 को अधिसूचित किया गया।
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ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी
संसद ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी। इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को वर्तमान दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष तक किये जाने का प्रस्ताव है। राज्यसभा में ध्वनिमत से इस विधेयक के पारित होने के साथ ही इसे संसद की मंजूरी मिल गई। लोकसभा में यह विधेयक नौ दिसंबर को पारित हुआ था। केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन विधेयक के प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में समिति की सिफारिश पर एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है तथा प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा। राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कार्मिक, लोक शिकायत, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इस विधेयक को पारित करने का फैसला कर उच्च सदन ने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्ध कोशिशों का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में नरेंद्र मोदी ने काले धन के खिलाफ विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया था।
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी
राज्यसभा ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष बढ़ाने और पांच वर्ष की अवधि तक उसे विस्तार दिये जाने का प्रावधान है। अभी तक सीबीआई निदेशक के कार्यकाल की सीमा दो वर्ष थी। दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक के प्रस्तावों में कहा गया है कि ‘‘इसके तहत दिल्ली पुलिस विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम 1946 में लोकहित में इसकी धारा 4 की उपधारा 1 के अधीन समिति की सिफारिश के आधार पर एक बार में एक वर्ष की अवधि के लिये विस्तार किया जायेगा लेकिन पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा।’’ सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है।
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लोकसभा में राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी विधेयक, 2021 पेश हुआ
लोकसभा में राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी विधेयक, 2021 पेश किया गया जिसमें राष्ट्रीय डोपिंग रोधी अभिकरण एवं इससे संबंधित परीक्षण प्रयोगशालाओं के संचालन को कानूनी स्वरूप प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि भारत ने खेल में डोपिंग के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन संबंधी अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किया था और नवंबर 2007 में इसका अनुमोदन किया था। इसके आलोक में भारत सरकार ने 2008 में राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की और इसके अधीन 2009 में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी अभिकरण ने भारत की प्रतिबद्धता को पूरा किया। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय डोपिंग रोधी अभिकरण एवं इससे संबंधित परीक्षण प्रयोगशालाओं के संचालन को कानूनी स्वरूप प्रदान करना है। राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी विधेयक, 2021 में अन्य बातों के साथ खेल में डोपिंग रोधी कार्य के लिये एक राष्ट्रीय बोर्ड की स्थापना की बात कही गई है तथा इसमें संरचना, शक्तियों एवं कार्यों का ब्यौरा दिया गया है।