क्या है Parvovirus, जिससे महाराष्ट्र के 2 हजार कुत्ते हुए संक्रमित, इंसानों को इससे कितना खतरा?

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पिछले महीने महाराष्ट्र के अमरावती जिले में लगभग दो हजार पालतू और आवार कुत्तों में पार्वो वायरस की पुष्टि हुई है। आंकड़ों के मुताबिक रोजाना 20 कुत्तों में पार्वो वायरस का संक्रमण फैल रहा है। अब तक इससे 17 कुत्तों की मौत हो चुकी है। आइए आपको बताते हैं कि पार्वो वायरस आखिर है क्या? दरअसल, यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है जो कुत्तों और उसके बच्चों के लिए जानलेवा भी हो सकती है। भारत में पहली बार ये वायरस 1989 में पाया गया था। पार्वो वायरस कुत्तों के इंटेस्टाइनल को प्रभावित करता है। खूनी दस्त, उल्टी,  वजन घटना और सुस्ती जैसे कुछ लक्षण दिखते हैं। वायरस के 90 प्रतिशत मामलों में मौत का खतरा रहता है।

अमरावती में मामले

अमरावती शहर में लगभग 2,000 पालतू और आवारा कुत्ते (शहर के कुत्तों की आबादी का 50 प्रतिशत) पिछले महीने वायरस से प्रभावित हुए थे। आवारा कुत्तों के बचाव के लिए काम करने वाली अमरावती स्थित WASA संरक्षण संगठन ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित क्लिनिक को प्रतिदिन कम से कम 20 कुत्तों के वायरस से प्रभावित होने की रिपोर्ट मिल रही है। विशेषज्ञों ने संदेह व्यक्त किया है कि पालतू जानवरों में पार्वो वायरस के मामलों में हालिया वृद्धि कोविड -19 महामारी के कारण हुई है, जिसकी वजह से कई पालतू जानवरों के मालिकों को अपने कुत्तों के समय पर टीकाकरण से बचने के लिए मजबूर किया है। 

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कुत्तों को संक्रमण से कैसे सुरक्षित रखें? 

अब तक ऐसा कोई भी मामला सामने नहीं आया है जिसमें ये साबित हुआ हो कि ये वायरस कुत्ते से इंसान में पहुंचा हो। हालांकि इंसानों के जरिये ये कुत्तों में जरूर पहुंच सकता है। जैसे किसी कुत्ते से इंसान के हाथ, कपड़ों, या दूसरे हिस्से में ये वायरस पहुंचा है और वो इंसान किसी स्वस्थ्य कुत्ते के संपर्क में आया है तो वो जानवर संक्रमित हो सकता है। पार्वो वायरस का कोई इलाज नहीं है और कुत्ते को टीका लगने से फैलने का खतरा कम होता है। पहली खुराक 45 दिन की उम्र में और दूसरी पहली खुराक के 21 दिन बाद दी जाती है। कुत्तों को वायरस से बचाने के लिए ये जरूरी है कि जब वो छोटे हों तबी उन्हें टीका लगवाए और फिर हर साल ऐसा करना जारी रखें।

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