लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने के पीछे आखिर क्या है वजह, फैसले का क्यों हो रहा है विरोध?

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 दिसंबर को महिलाओं के लिए शादी की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला लिया। पुरुषों के लिए शादी की कानूनी उम्र 21 साल है। इस फैसले के साथ पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शादी की उम्र बराबर हो जाएगी। गौरतलब है कि बाल विवाह को अनिवार्य रूप से गैरकानूनी घोषित करने और नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने के लिए कानून विवाह की न्यूनतम आयु निर्धारित करता है। वहीं विवाह से संबंधित विभिन्न धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों के अपने मानक होते हैं। हिंदुओं के लिए, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 लड़की के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित करता है। इस्लाम में युवावस्था प्राप्त कर चुके नाबालिग की शादी को वैध माना जाता है। विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 भी क्रमशः महिलाओं और पुरुषों के लिए विवाह के लिए सहमति की न्यूनतम आयु के रूप में 18 और 21 वर्ष निर्धारित करते हैं। लेकिन अब भारत सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने की तैयारी में है। जिसको लेकर केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार शीतकालीन सत्र में विधेयक के जरिये मौजूदा कानून में संशोधन के जरिये करेगी। लेकिन केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर अभी से विरोध भी शुरू हो गया है। कई सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर राजनेता तक इस फैसले को अपने-अपने तर्कों के आधार पर गलत ठहरा रहे हैं। 

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सरकार ने क्यों लिया फैसला
समिति ने सिफारिश की है कि देश भर के 16 विश्वविद्यालयों के युवा वयस्कों से मिले फीडबैक के आधार पर शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 साल कर दिया जाए। फिलहाल भारत में बेटियों की शादी करने की कानूनी उम्र 18 साल है जबकि लड़कों के लिए 21 साल है। इसको लेकर समता पार्टी की पूर्व प्रमुख जया जेटली के नेतृत्व में टास्क फोर्स ने पिछले साल अपनी सिफारिशें सौंपी थी। जेटली ने कहा था कि लड़की 18 साल में शादी के लिए फिट हो सकती हैं, जो कि उनके कॉलेज जाने के अवसर को कम कर देता है। दूसरे तरफ पुरुष के पास खुद को तैयार करने का 21 साल तक का अवसर है। वो भी तब जबकि आजकल लड़कियां इतना कुछ करने में सक्षम हैं। जल्दी शादी का कारण ये है कि वे परिवार में कमाने वाली मेंबर नहीं हैं। ऐसे में हमें उन्हें कमाने का पुरुषों के बराबर मौका देना चाहिए। 

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शादी की उम्र बढ़ाने के बारे में क्यों हो रही आलोचना?
बाल और महिला अधिकार कार्यकर्ता, साथ ही जनसंख्या और परिवार नियोजन विशेषज्ञ इस आधार पर महिलाओं के लिए शादी की उम्र बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं कि इस तरह का कानून आबादी के एक बड़े हिस्से को अवैध विवाहों की ओर धकेल देगा। उन्होंने तर्क दिया है कि महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र 18 वर्ष रखी जाने के बावजूद, भारत में बाल विवाह जारी है और ऐसे विवाहों में कमी मौजूदा कानून के कारण नहीं बल्कि लड़कियों की शिक्षा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि के कारण हुई है। उनका मानना है कि कानून अंत में जबरदस्ती होगा और विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे हाशिए पर रहने वाले समुदायोंको नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा, जिससे वे कानून तोड़ने वाले बन जाएंगे। वहीं इस फैसले को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार को ये फैसला लेने से पहले लोगों की राय लेनी चाहिए। शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि महिलाओं से पूछे बगैर ये फैसला लिया गया है। जब वोटिंग की उम्र 18 है तो शादी की 21 क्यों? इसके अलावा मुस्लिम संगठन और उनके नेताओं की तरफ से भी कई सारे बयान सामने आए हैं। जमात उलेमा ए हिन्द गुलजार अजमी ने कहा कि वे कैबिनेट के फैसले को नहीं मानेंगे। बालिग होने की उम्र 18 साल ही है। 
अलग-अलग देशों में क्या है उम्र?
स्पेन में ये 16 वर्ष है जो 2015 में 14 वर्ष थी। वहीं इंग्लैंड और वेल्स में लोग 17 से 18 वर्ष की उम्र में अपने माता-पिता की सहमति से शादी कर सकते हैं। चीन में पुरुषों के लिए शादी करने की उम्र 22 साल जबकि महिलाओं के लिए 20 साल है। 
 

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