क्रॉस-जेंडर मालिश पर प्रतिबंध को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिया बड़ा बयान
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से कहा कि वह शहर में ‘क्रॉस-जेंडर’ मालिश पर प्रतिबंध के संबंध में कोई कार्रवाई करने से परहेज करे। अदालत ने कहा कि ऐसी सेवाएं केवल यौन गतिविधि के अस्तित्व का संकेत नहीं देती हैं।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने की, जिन्हें दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने बताया कि ऐसे केंद्रों में यौन गतिविधियों को रोकने के लिए उचित विचार-विमर्श के बाद नीति बनायी गई थी।
क्रॉस-जेंडर मसाज (मालिश) का मतलब है कि किसी पुरुष की मालिश कोई महिला करे या किसी महिला की मालिश कोई पुरुष करे।
अदालत ‘क्रॉस-जेंडर’ मालिश पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत से नीति को अनुमति देने का आग्रह किया, जो अब एक दिशानिर्देश का रूप ले चुकी है।
उन्होंने अदालत से नीति को कुछ समय के लिए लागू रहने की अनुमति देने के लिए कहा और इस बात पर प्रकाश डाला कि पांच सितारा होटलों सहित कई स्थानों पर ‘क्रॉस-जेंडर’ मालिश की अनुमति नहीं है।
हालांकि, न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि यह एक क्रॉस-जेंडर मालिश है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह यौन गतिविधि है। आप अपने लोगों को रोकें। मैं यह नहीं कह रही हूं कि आपको अवैध गतिविधियां नहीं रोकनी चाहिए।’’
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अधिकारी केवल अवैध गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। अदालत ने इस महीने के अंत तक याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी।