भाजपा को मिला अनुप्रिया का साथ तो अखिलेश के साथ आईं मां कृष्णा, समझिए किस पर कौन पड़ सकता है भारी ?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और समाजवादी पार्टी लगातार खुद को मजबूत करने के लिए नए-नए समीकरण बना रहे हैं। भाजपा ने जहां अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (सोनेवाल) के साथ हाथ मिलाया है तो वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा के साथ गठबंधन किया है। अखिलेश यादव ने पहले ही साफ कर दिया था कि वो इस बार का चुनाव क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर लड़ेंगे और इसके लिए वो लगातार छोटे दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
- अपना दल से निकली हैं अनुप्रिया पटेल
आपको बता दें कि साल 2014 में अपना दल ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था और उन्हें दो सीटें मिली थीं। ऐसे में अपना दल ने दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज की। उस वक्त अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद बनी थीं और साल 2016 में हुए मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में अनुप्रिया पटेल को सबसे युवा चेहरे के तौर पर शामिल किया गया। अनुप्रिया पटेल के बढ़ते कद की वजह से अपना दल में दो फाड़ हो गया और फिर उन्होंने 2016 में ही अपना दल (सोनेवाल) का गठन किया।
इसके बाद भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल को 11 सीटें दी थीं। जिनमें से उन्होंने 9 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि इस बार अनुप्रिया पटेल को कितनी सीटें मिलती हैं अभी यह तय नहीं हो पाया है। वहीं दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा की अगुवाई वाली अपना दल ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और 59 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे मगर एक भी सीट नहीं जीत पाईं। उस वक्त समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और उन्हें भारी नुकसान सहना पड़ा। ऐसे में इस बार कृष्णा पटेल ने सीधे अखिलेश से हाथ मिलाया है।
- 9 फीसदी वोट बदलते हैं किस्मत
आपको बता दें कि बहुजन नायक कांशीराम के सहयोगी रहे सोनेलाल पटेल ने अपना दल का गठन किया था और वो पूर्वांचल में मौजूद कुर्मी समुदाय के लोकप्रिय नेता थे। लेकिन उनके निधन के बाद बेटी अनुप्रिया पटेल मां कृष्णा पटेल को पार्टी को मजबूत करने में मदद करती रहीं। उत्तर प्रदेश के 6 फीसदी कुर्मी वोटबैंक का प्रतिनिधित्व अनुप्रिया पटेल और कृष्णा पटेल दोनों ही करती हैं। लेकिन विगत वर्षों की तरफ देखें तो अनुप्रिया पटेल को कामयाबी भी मिली है और कृष्णा पटेल कुछ भी नहीं कर पाईं हैं। कृष्णा पटेल को तो कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सीटें दी थीं। जिसमें से एक पर कृष्णा खुद लड़ी थीं। हालांकि अपना दल कोई भी सीट जीत पाने में कामयाब नहीं हो पाईं।