आखिरी सांस तक पाकिस्तानी विमानों के छुड़ाए थे छक्के, जानें पूरी कहानी
- मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित
नई दिल्ली : वायुसेना दिवस के मौके पर गाज़ियाबाद के हिंडन एयरबेस पर विमानों ने आकाश में पराक्रम दिखाया। आपको बता दें कि वायुसेना की स्थापना 08 अक्टूबर 1932 को हुई थी और आज वायुसेना का 89वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। इतना ही नहीं यह साल इसलिए भी खास है क्योंकि भारत और पाकिस्तान युद्ध 1971 का 50वां साल है और भारतीय सेना इसे स्वर्णिम विजय वर्ष के रुप में मना रही है।
ऐसे में हम आपको आज भारत के ऐसे शेर की कहानी बताएंगे जिसको देखकर दुश्मनों के पसीने छूट जाते थे। आज बात होगी परमवीर चक्र से सम्मानित फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की।
- सेखों के शौर्य को सलाम
साल 1943 में पंजाब के लुधियाना में जन्में निर्मलजीत सिंह सेखों साल 1967 में पायलट अधिकारी के रूप में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे। लेकिन 14 दिसंबर को जो कुछ हुआ उसको देखकर पाकिस्तान भी निर्मलजीत सिंह सेखों के शौर्य को सलाम करने के लिए मजबूर हो गया।
साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान श्रीनगर एयरबेस में पाकिस्तान वायुसेना के 6 सेबर विमानों ने हमला बोल दिया। उस वक्त एयरबेस पर फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की ड्यूटी थी। उस वक्त उनके साथ फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन भी थे। फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन और फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने पाकिस्तानी विमानों का सामना किया।
- पाक विमानों का खदेड़ा था
फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन वरिष्ठ पायलट अधिकारी थे और फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों के साथी थे। वो पाकिस्तानी विमानों की बमबारी का जवाब दे रहे थे। तभी निर्मलजीत सिंह सेखों ने अकेले ही मोर्चा संभाला और पाकिस्तान के सभी सैबर विमानों पर धावा बोल दिया। उन्होंने सबसे पहले दो विमानों को निशाना बनाया। जिसके बाद बाकी के चारों विमानों ने निर्मलजीत सिंह सेखों के विमान को घेर लिया।
इस दौरान निर्मलजीत सिंह सेखों का विमान दुश्मनों के क्षतिग्रस्त हो गया फिर भी उन्होंने पाकिस्तानी विमानों को खदेड़ना जारी रखा और अंतत: पाकिस्तानी विमानों को वहां से जाना पड़ा लेकिन निर्मलजीत सिंह सेखों का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और वो शहीद हो गए। इतना ही नहीं निर्मलजीत सिंह सेखों ऐसे एकमात्र अधिकारी हैं जिन्हें मरणोंपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।