एक ऐसा राज्य जहां काम न करने के भी मिलते हैं पैसे, जानें क्या है मामला

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कोच्चि :  केरल उच्च न्यायालय ने ‘नोक्‍कुकुली’ यानी काम न करने के भी पैसे लेने की जारी प्रथा पर निराशा व्यक्त करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इससे राज्य की पहचान ‘‘उग्रवादी व्यापार यूनियनबाजी’’ की बन रही है जिससे निवेशक यहां आने से डरते हैं, इसलिए इस बुराई का उन्मूलन होना चाहिए।

 

 

 

 

केरल में श्रम कानूनों की आड़ में ट्रेड यूनियनों के जबरन वसूली करने को ‘नोक्कुकुली’कहा जाता है। इसके तहत मजदूर कोई सामान उतारने या चढ़ाने के लिए पहले तो भारी-भरकम रकम मांगते हैं और अगर व्‍यापारी किसी दूसरे माध्‍यम से यह काम कराता है तो मजदूर मजदूरी के नुकसान के एवज में व्‍यापारी से पैसों की मांग करते हैं। इसे नोक्‍कुकुली कहा जाता है।

 

 

 

अदालत ने कहा कि वह अब राज्य में ‘नोक्कुकुली’ शब्द नहीं सुनना चाहती है और पुलिस को ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो भी इस तरह की अवैध और गैरकानूनी मजदूरी की मांग करता है।

 

 

 

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने यह टिप्पणी एक होटल मालिक की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें उसने अपना व्यवसाय चलाने के लिए ‘नोक्‍कुकुली’ मांगने वालों से पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।

आकाश भगत

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