हिमाचल सरकार के निर्णय के तहत अब गैर हिन्दू आइएएस, आइपीएस व अन्य सेवाओं के अधिकारी मंदिर अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे

शिमला। हिमाचल के हिन्दू मंदिरों  के प्रबंधन को लेकर सरकार की ओर से लिये गये एक पफैसले को लेकर इन दिनों प्रदेश में काफी हो हल्ला हो रहा है। राज्य सरकार ने हिन्दू सार्वजनिक संस्थान एंव पूर्व विन्यास  अधिनियम के तहत कुछ मंदिरों को अपने नियंत्रण में लिया। इन मंदिरों में चढावे के तौर पर सालाना करोंडों की आमदन होती है।
 

इसे भी पढ़ें: मंदिरों के चढ़ावे बारे सरकार की नीति विरोधाभासी-कांग्रेस प्रवक्ता दीपक शर्मा बोले-नीति संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध

 
भले ही यह हिन्दू मंदिर हों या शक्तिपीठ यहां अपने श्रद्धाभाव के चलते हर धर्म के लोग आते है। खासकर सिक्ख व दूसरे धर्म के लोगों से चढावा आता है। कई मंदिरों में सरकारी तौर पर गैर हिन्दू भी कर्मचारी तैनात हैं। लेकिन सरकार के एक ताजा निर्णय के बाद नया विवाद खडा हो गया है। जिसमें सरकार ने कहा है कि अब मंदिरों की आमदन गैर हिन्दुओं पर खर्च नहीं होगी।
 
 
लिहाजा,सरकार द्वारा अधिग्रहित मंदिरों के अध्यक्ष केवल हिंदू जिला उपायुक्त होंगे। दूसरे धर्म के मुस्लिम, इसाई, पारसी सहित अन्य आइएएस, आइपीएस व अन्य सेवाओं के अधिकारी मंदिर अध्यक्ष नहीं होंगे। यदि किसी जिला में कोई जिला उपायुक्त हिंदू धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म से है तो उसकी जगह अतिरिक्त जिला उपायुक्त मंदिर का अध्यक्ष होगा। यदि अतिरिक्त जिला उपायुक्त भी गैर हिंदू है तो साथ लगते जिला का उपायुक्त मंदिर न्यास का अध्यक्ष नियुक्त होगा।
 
 
राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के तहत सरकारी अधिग्रहित मंदिरों में हर स्तर पर सेवारत कर्मचारी केवल हिंदू होगा। इस अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि भविष्य में मंदिरों का चढ़ावा हिंदू धर्म के अलावा अन्य किसी भी धर्म के लोगों पर खर्च नहीं होगा। सरकार के भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्था और पूर्त विन्यास अधिनियम-1984 की धारा 27 के तहत मंदिर प्रदेश के सभी जिला उपायुक्तों को आदेश जारी किए गए हैं। सरकार ने 1984 के अधिनियम में 2018 में संशोधन किया था। जिसके तहत नए नियम सरकार को प्रस्तावित किए हैं। जिसके तहत मंदिर की नकदी, सोना-चांदी दूसरे कामों पर खर्च नहीं होगा। इस धन और सोना-चांदी का उपयोग केवल हिंदुओं के कल्याण पर होगा। मंदिरों के तहत संचालित होने वाले स्कूल, महाविद्यालय, स्वास्थ्य संस्थानों और धर्म के प्रचार पर होने वाला पूरा खर्च मंदिर न्यास ही उठाता रहेगा। हिंदुओं के सोलह श्रगांर न्यास के धन से ही होंगे, प्रदेश सरकार इसके लिए बजट नहीं देगी।
 
 
सरकारी आदेशों के बाद अब कुछ जिलों में जिलाधीश धर्म देखकर तैनात होंगे। वहीं एसडीएम भी गैर हिन्दू नहीं लग सकेंगे।  यही वजह है कि अब इस  फैसले का विरोध हो रहा है।  चूंकि भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *