गन्ने के मूल्य में सिर्फ 25 रुपये की हुई वृद्धि, बावजूद इसके पश्चिमी यूपी के किसान क्यों हैं योगी सरकार के साथ?

0
हाल में ही योगी आदित्यनाथ ने 4 साल के लंबे समय के बाद गन्ने के मूल्य में 25 रुपये की बढ़ोतरी की। लेकिन माना जा रहा है कि यह वृद्धि किसानों की मांग के अनुरूप नहीं हुई है। यह वृद्धि बेहद ही कम है। बावजूद इसके पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान योगी आदित्यनाथ की सरकार के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में गन्ने की भारी खेती होती है। किसानों को इस बात की उम्मीद थी कि योगी आदित्यनाथ की सरकार चुनाव से पहले गन्ने के मूल्य में भारी वृद्धि कर सकती है। हालांकि ऐसा नहीं हुआ और सरकार की ओर से सिर्फ 25 रुपये ही बढ़ाया गया। साथ ही साथ देश में चल रहे किसान आंदोलन का असर भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा है। ऐसे में योगी सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी बढ़ सकती है।
 

इसे भी पढ़ें: UP में ढाई महीने के बचे हुए कार्यकाल वाली सरकार के विस्तार की जरूरत क्यों पड़ गयी?

किसानों का क्या है कहना?
लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जो जमीनी हकीकत निकल के सामने आ रही है वह योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए अच्छी खबर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान कानून और व्यवस्था में सुधार को देखते हुए योगी आदित्यनाथ का समर्थन कर रहे हैं। इतना ही नहीं किसानों का यह भी कहना है कि पहले बकाया बहुत दिनों तक लंबित रहता था लेकिन अब वह जल्दी मिल जाता है। कुछ किसानों का तो यह भी कहना है कि पहले तीन-चार सालों के अंतराल के बाद बकाया मिलता था लेकिन अब अधिकांश किसानों को सीजन समाप्त होने के साथ ही उनका बकाया मिल जाता है। हां, किसानों में इस बात को लेकर नाराजगी जरूर है कि महंगाई की तुलना में गन्ने के मूल्य में वृद्धि कम हुई है। लेकिन योगी सरकार ने बेहतर कानून व्यवस्था स्थापित किए हैं इसलिए उनके मन में सरकार के प्रति सम्मान है। कुछ किसानों ने तो यह तक दावा कर दिया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दो तिहाई के साथ भाजपा के साथ है।
 

इसे भी पढ़ें: पुरानी सरकारों में मुश्किल था रसोई गैस कनेक्शन और सिलेंडर मिलना, गरीबों को अब नि:शुल्क मिलता है : योगी आदित्यनाथ

किसान आंदोलन का असर
एक न्यूज़ वेबसाइट की माने तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसानों का कहना है कि जिन लोगों को तीन कृषि कानूनों के बारे में पता नहीं है वही विरोध कर रहे हैं। जिन लोगों को इसके बारे में पता चल गया है वह अब गलतफहमी से दूर हो गए हैं। कुछ किसानों ने तो आंदोलन को अब राजनीतिक मंच कहना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा का गढ़ बन गया था। 2014, 2017 और 2019 के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने बढ़त हासिल की थी। किसानों ने जमकर भाजपा के पक्ष में वोट दिया था। हालांकि किसान आंदोलन के बाद विपक्ष किसानों को अपनी ओर करने की कोशिश में है और यही कारण है कि कई बड़े नेताओं का समर्थन किसान आंदोलन को मिल रहा है। 
 

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed