क्या है डिजिटल डिटॉक्स चैलेंज ? जिसके लिए जैन मंदिरों के बाहर लग रहे पोस्टर

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श्रावण मास की शुरुआत में उपवास बहुत ही शानदार होता है। जैन समाज में व्रत की परंपरा सदियों पुरानी है। जैन समाज में व्रत का खासा महत्व होता है और आप लोगों ने अपने आसपास में लोगों को व्रत रखते हुए भी देखा होगा। लेकिन आज हम बात करने वाले हैं अलग तरह के व्रत की। अक्सर लोग व्रत में भोजन से परहेज करते हैं लेकिन गुजरात में रखे जाने वाले इस अनोखे व्रत में भोजन से परहेज करने की आवश्यकता नहीं है।

 

 

  • किसका करना है परहेज ?

21वीं सदी में नए प्रकार के व्रत की आवश्यकता थी, जिसे गुजरात के जैन समुदाय के युवाओं को रखने की चुनौती दी गई है। दरअसल, जैन समुदाय के युवाओं को मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल न करने के लिए ‘डिजिटल डिटॉक्स चैलेंज’ करने की चुनौती दी जा रही है।

 

 

 

अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के मुताबिक अहमदाबाद में जैन समुदाय द्वारा ‘डिजिटल डिटॉक्स चैलेंज’ शुरू किया गया है। 50 दिनों के इस डिजिटल उपवास में जो लोग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के इस्तेमाल नहीं करेंगे उन्हें श्री समद शिखर जी की तीर्थ यात्रा करने का मौका मिलेगा।

 

 

 

  • क्या है इसके असल मायने ?

जैन समुदाय द्वारा उपवास चुनौती शुरू करने के पीछे का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जैन समुदाय में परिवार और बच्चों के बीच का रिश्ता कमजोर न हो। क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि घर में बच्चों के साथ-साथ युवा भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में जूझे रहते हैं। ऐसे में परिवार के साथ बिताने वाला कीमती समय बर्बाद हो जाता है। इसलिए इस उपवास के माध्यम से परिवार की भावना मजबूत करने की कोशिशें की जा रही हैं।

 

 

आपको बता दें कि अहमदाबाद में ‘डिजिटल डिटॉक्स चैलेंज’ 23 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 10 सितंबर तक चलने वाला है। इसको लेकर शहर के पुराने इलाकों में स्थित जैन मंदिरों के बाहर पोस्टर भी लगाए गए हैं।

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आकाश भगत

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