अफगानिस्तान का इतिहास, महाभारत कनेक्शन
- इतिहास में अफगानिस्तान
अफगानिस्तान न केवल कभी हिंदू राष्ट्र था बल्कि यह भारत का ही हिस्सा था। भारत पर अंग्रेजों के आक्रमण के समय अंग्रेजों ने अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में रखा और भारत से ही इसपर शासन किया। लेकिन वर्ष 1893 में सर मॉर्टीमर डूरंड ने भारत और अफगानिस्तान के बीच रेखा खींची जो कि डूरंड रेखा कहलाई। हिंदुकुश में स्थापित यह सीमा रेखा जो अफगानिस्तान और ब्रिटिश भारत के जनजातीय क्षेत्रों से उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों को रेखांकित करती हुई गुजरती थी।
वर्तमान में यह रेखा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा रेखा है। यह तो हुई इतिहास की बात लेकिन अफगानिस्तान का महाभारत से भी गहरा रिश्ता है। यही नहीं पूर्व में यह हिंदू राष्ट्र था इसके भी कई साक्ष्य मिले हैं।
- कैसा बना अफगानिस्तान
भारत से सटे सबसे छोटी सीमा वाला देश आज जो अफगानिस्तान है उसका मानचित्र उन्नीसवीं सदी के अंत में तय हुआ। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार सिंकदर के आक्रमण के समय 327 ईसापूर्व अफगानिस्तान में फारस के हखामनी शाहों का शासन था। उसके बाद के ग्रेको-बैक्ट्रियन शासन में बौद्ध धर्म लोकप्रिय हुआ। मध्यकाल में कई अफगान शासकों ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयास किया इसमें लोदी वंश का नाम प्रमुख है। इसके अलावा भी कई मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अफगान शाहों की मदद से भारत पर आक्रमण किया। हालांकि उस समय अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्र दिल्ली सल्तनत के भी अंग थे। भारत में पहला आक्रमण अफगानिस्तान पर ही हुआ। इसके बाद यहीं हिंदुकुश के अलग-अलग दर्रों से आक्रांताओं ने भारत पर कई आक्रमण किए। इन आक्रांताओं में बाबर, नादिर शाह तथा अहमद शाह अब्दाली शामिल है। अहमद शाह अब्दाली ने पहली बार अफगानिस्तान पर एकाधिपत्य कायम किया। वह अफगान यानी कि पश्तून था। 1751 तक उसने वे सारे क्षेत्र जीत लिए जो वर्तमान में अफगानिस्तान और पाकिस्तान है।
- महाभारत से अभिन्न जुड़ाव
अफगानिस्तान का महाभारत के साथ काफी गहरा रिश्ता है। अफगानिस्तान की पेशावर घाटी और काबुल नदी घाटी तक महाभारत का इतिहास फैला हुआ है। नवंबर 2013 में एशिया और अफ्रीका की तरफ से हुई एक स्टडी में यह बात साबित हुई थी कि अफगानिस्तान का हजारों साल पहले महाभारत से गहरा रिश्ता रहा है। यही नहीं अफगानिस्तान के जिस हिस्से को हम आज कंधार के नाम से जानते हैं वह कभी गंधार साम्राज्य के नाम से जाना जाता था। गंधार शब्द का जिक्र ऋग्वेद, उत्तर रामायण और महाभारत में भी मिलता है। गंधार का एक बड़ा हिस्सा उत्तरी पाकिस्तान और कुछ हिस्सा पूर्वी अफगानिस्तान में है। गंधार साम्राज्य पोथोहार, पेशावर घाटी और काबुल नदी घाटी तक फैला था।
महाभारत काल में जिक्र मिलता है कि गंधार पर आज से 5500 साल पहले राजा सुबाला ने राज किया था। उनकी बेटी का नाम गंधारी था जिनकी शादी हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र से हुई थी। गंधारी के भाई शकुनी थे। राजा सुबाला की मृत्यु के बाद गंधार साम्राज्य की सत्ता शकुनी ने संभाली। यही नहीं मान्यता तो यह भी है कि गंधार में शिवजी की पूजा की जाती थी। इसका तात्पर्य गंधार शब्द से माना जाता है क्योंकि गंधार शब्द गंध से बना है। गंध यानी कि खुशबू और गंधार का पूरा शाब्दिक अर्थ खुशबू की धरती। मान्यता है कि काबुल नदी के तट पर लोग रहा करते थे। उत्तर-पश्चिम पंजाब भी किसी समय में गंधार का हिस्सा थे। कई और शोध पत्रों में इस बात की पुष्टि की गई है कि नॉर्थ-वेस्ट पंजाब, ईरान, भारत और सेंट्रल एशिया से संपर्क का रास्ता था।
- अफगानिस्तान के पांडव कनेक्शन
महाभारतकाल में अफगानिस्तान का कंधार जो कि गंधार साम्राज्य था। यह काफी शक्तिशाली साम्राज्य था। मान्यता है कि 18 दिनों तक चले महायुद्ध महाभारत में पांडवों से हार के बाद कौरव वंश के कई लोग गंधार साम्राज्य में रहने लगे थे। बाद में वे धीर-धीरे इराक और सऊदी अरब में चले गए। बाद में गंधार पर मौर्य साम्राज्य के राजाओं का राज हो गया। इसके बाद फिर मुगलों का हमला हुआ। मोहम्मद गजनी ने भी यहां पर हमला किया। गजनी ने दसवीं सदी में इस पर कब्जा कर लिया।