लाहौल-स्पीति जिले को लेकर जय राम सरकार का रवैया ठीक नहीं
शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव व लाहौल-स्पीति के प्रभारी महेश्वर चौहान ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार जनजातीय जिला लाहौल स्पिति से भेदभाव कर रही है। इलाके में मूलभूत सविधाओं का अभाव है। लोग परेशान हैं
यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर सरकार जनजातीय इलाकों के साथ पूरी तरह से भेदभाव किया है। भेदभाव का आलम यह है कि चार साल में मुख्यमंत्री को जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति का विकास के दृष्टिगत दौरा करने और वहां विकास कार्यों को गति देने का समय नहीं लगा। लेकिन जैसे ही लोकसभा उपचुनाव ही आहट हुई, इस जिले में ऐसी घोषणाएं कर दीं, जो पूरी करना भी असंभव है।
महेश्वर चौहान ने कहा कि लाहौल-स्पीति मंडी संसदीय हलके का हिस्सा है और इस संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव होना है। इस उपचुनाव ही आहट पाते ही जयराम ठाकुर सरकार नींद से जाग गई है और अब घोषणाओं पर घोषणाएं कर रही है और इनमें से कई तो ऐसी हैं जो पूरी भी नहीं होनी हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीति जिले में प्राकृतिक आपदा से भारी नुकसान हुआ है और वहां पर सरकार के स्तर पर जो राहत कार्य तेजी से चलने चाहिए थे, वे नहीं हो रहे।
चौहान ने कहा कि सरकार लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव तो करवा सकती है, लेकिन लाहौल-स्पीति में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव नहीं करवा सकती। उन्होंने कहा कि ये चुनाव करवाना संवैधानिक रूप से जरूरी है, लेकिन सरकार कोरोना की आड़ लेकर चुनाव नहीं करवा रही। वहीं, इसी हलके में संसदीय चुनाव की तैयारी पूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार लाहौल-स्पीति में पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों को एक ही व्यक्ति से कंट्रोल करना चाहती है और इसलिए वहां पर कर्मचारियों को जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग से मांग की कि लाहौल-स्पीति में पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों की जल्द से जल्द घोषणा करे। उन्होंने कहा कि यदि आयोग में चुनाव की घोषणा नहीं की तो वे अदालत का दरवाजा भी खटखटाने से गुरेज नहीं करेंगे।
इस अवसर पर पूर्व विधायक रवि ठाकुर ने कहा कि जिस तरह का सीमा विवाद आसाम और मिजोरम का है, ठीक उसी तरह का विवाद हिमाचल के लाहौल-स्पीति का जम्मू-कश्मीर के लद्दाख के साथ भी है। उन्होंने कहा कि शिंकुला और सरचू में कई किमी. अंदर तक जेएंडके पुलिस घुसी है और वहां पर सीमावर्ती गांवों में लोग दहशत में है। उन्होंने सरकार से मांग की इस विवाद को सुलझाया जाए और इसके लिए सीमा की जल्द डिमार्केशन करवाई जाए।