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झारखण्ड/धनबाद (ब्यूरो, राजेन्द्र वर्मा) : समाजसेवी हरे राम पंडित का कहना है कि धनबाद में बिजली की उपलब्धता इतनी कम हो गयी है कि आम जनता परेशान हो रही हैं।

 

आश्चर्य तो इस बात का है कि रखरखाव करने वाली एजेंसी भी वहीं है और बिजली भी डीभीसी से ही आती है फिर समझ में नहीं आता है कि चौबीस घंटे में से बारह-तेरह घंटे बिजली गुल रहती है। आखिर क्यों ? कुछ इलाके में तो लालटेन युग जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। लोग लालटेन युग मे रहने को लाचार है। जब शहरी क्षेत्र की स्थिति ऐसी है तो गांवों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

 

नगर निगम का चुनाव सामने है और नेताओं की बयान-बाजी आना शुरू हो चुकी है। गांव के लोग भी बिजली की समस्या के कारण आंदोलनरत हैं कि बिजली नहीं तो पानी नहीं, और बिजली- पानी नहीं तो वोट नहीं। अब देखना यह है कि इस समस्या को लेकर यहां की जनता क्या गुल खिलाती है?

 

धनबाद के एक-दो इलाके में जहां नेशनल ग्रीड से बिजली आपूर्ति होती है वहां की स्थिति थोड़ी ठीक है परंतु डीवीसी की बिजली जो गोधर फीडर से आती है और बारामूरी से आने वाली बिजली की स्थिति तो और भी बदत्तर है। नवाडीह, नाइन्टी नाइन कोयलांचल सीटी, भूली के क्षेत्र में तो बारह-तेरह घंटे बिजली रहती ही नहीं है। इस इलाके में ऐसी स्थिति ऐसी हो गई है कि बैटरी भी चार्ज नहीं हो पाती है। और ऊपर से गर्मी भी उमस वाली है।

 

 

सबसे अहम बात यह है कि बदनामी युवा और कर्मठ मुख्यमंत्री की होती है। समझ में यह भी नहीं आता है कि क्या बिजली नहीं रहेगी तो सरकार को राजस्व नहीं मिलेगा? आखिर बिजली विभाग ऐसा क्यों कर रही है? बिजली विभाग और सरकार का ध्यान बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का होना चाहिए। यदि विभाग और सरकार सही सोच से काम करे तो पूरी बिजली की आपूर्ति नेशनल ग्रीड से करने की व्यवस्था हो सकती है। यदि इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो धनबाद लालटेन युग में जाने के लिए मजबूर हो जायेगा।

 

 

मार्केट में जेनेरेटर की बिक्री बढ़ेगी और साथ ही शहर में प्रदूषण भी बढ़ेगा। यह सर्व विदित है कि डीजल की कीमत आसमान छू रही है। कहीं विभाग के लोगों के द्वारा जान-बूझकर तो ऐसी स्थिति पैदा नहीं की जा रही है। यह विचारणीय विषय है।

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आकाश भगत

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