केरल के नतीजों ने राहुल के भविष्य पर लगाया ग्रहण

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  • काम नहीं आया पुश-अप और समुद्र की तैराकी
केरल विधानसभा चुनाव के परिणाम आने शुरू हो गए है। जिस तरह के नतीजे वहां आ रहे हैं वह कहीं ना कहीं एग्जिट पोल को सच साबित कर रहे है।
हालांकि केरल के चुनावी नतीजे कहीं ना कहीं राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए निराशा भरा है। केरल में पार्टी को जीत दिलाने के लिए राहुल गांधी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। वह लगातार केरल में मेहनत कर रहे थे। लेकिन उनकी मेहनत रंग लाती फिलहाल तो दिखाई नहीं दे रही है।
केरल में इतिहास रचते हुए पी विजयन के नेतृत्व में एलडीएफ गठबंधन सत्ता में वापसी कर रही है। राहुल गांधी की करियर के लिए केरल चुनाव बेहद ही अहम था। केरल में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन से राहुल के कैरियर पर ग्रहण लग सकता है।
राहुल ने केरल विधानसभा चुनाव के प्रचार कमान अपने हाथों में रखी थी। वे लगातार वहां के लोगों को लुभाने के लिए तरह-तरह के दावे और वादे कर रहे थे। इतना ही नहीं मछुआरों पर विश्वास जताने के लिए वह उनके साथ समुद्र में तैराकी करने पहुंच गए तो युवाओं का साथ पाने के लिए पुश-अप भी लगाना शुरू कर दिया था। यह वही केरल है जहां राहुल गांधी ने अपने बयान से उत्तर-दक्षिण का विवाद खड़ा कर दिया था। लेकिन राहुल गांधी ने जिस तरह से वहां प्रचार किया उससे उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि कहीं ना कहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ गठबंधन केरल में सत्ता में आएगी।
अगर केरल में यूडीएफ सत्ता में वापसी करती तो राहुल गांधी की राजनीतिक स्थिति मजबूत होती। परंतु रुझानों में फिलहाल ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 20 में से 15 सीटें जीतने वाली यूडीएफ विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन कर रही है। राहुल गांधी के साथ-साथ महासचिव केसी वेणुगोपाल राव  के लिए भी केरल चुनाव अहम था।

 

 

केरल में राहुल की लोकप्रियता यूडीएफ को कुछ खास सीटें दिलवाती नहीं दिखाई दे रही है। वर्तमान में देखें तो राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस के सभी नेता सहज नहीं है। राहुल गांधी की केरल हार से ही अब उन पर अतिरिक्त दबाव रहेगा। इसके साथ-साथ अगले महीने होने वाले कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में उनका पलड़ा कमजोर पड़ सकता है। साथ ही साथ कांग्रेस से नाराज जी-23 एक बार फिर राहुल गांधी पर हमलावर हो सकता है। जो लोग भी राहुल गांधी को पसंद नहीं करते वे एक बार फिर से उनकी आलोचना करना शुरू कर सकते हैं। कांग्रेस के लिए परेशानी बढ़ सकती है।
अगर राहुल गांधी केरल में यूडीएफ गठबंधन को जीत दिलवाने में कामयाब होते तो हो सकता है अगले महीने वह कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सबसे उपयुक्त दावेदार होते। हालांकि अब उन्हें एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष पद पर पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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