इंटरनेट पर मदद मांग रहे नागरिकों पर कोई रोक नहीं लगाई जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
- कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि इंटरनेट पर मदद की गुहार लगा रहे नागरिकों पर रोक इस आधार पर नहीं लगाई जानी चाहिए कि वे गलत शिकायत कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भटकी तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘‘ सूचना का निर्बाध प्रवाह होना चाहिए।’’ शीर्षअदालत ने केंद्र, राज्यों और सभी पुलिस महानिदेशकों को निर्देश दिया कि वे ऐसे किसी भी व्यक्ति पर अफवाह फैलाने के आरोप पर कोई कार्रवाई नहीं करे जो इंटरनेट पर ऑक्सीजन, बिस्तर और डॉक्टरों की कमी संबंधी पोस्ट कर रहे हैं। पीठ ने साफ तौर पर कहा कि पेरशान नागरिकों के ऐसे किसी भी पोस्ट पर कार्रवाई होने पर हम उसे अदालत की अवमानना मानेंगे। न्यायालय ने टिप्पणी की कि अग्रिम मोर्चे पर कार्य कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को भी इलाज के लिए अस्पताल में बिस्तर नहीं मिल रहे हैं।