रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि अल्लाह ने जिस चीज से रुकने को कहा है उससे रुकने का नाम रोजा है : कासमी

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झारखण्ड/पाकुड़ : माहे रमजान मुस्लिम समुदाय के लिए एक पवित्र महीना का पवित्र त्यौहार है, जिसमे लोग रात के तीसरे पहर में सेहरी करते है। फिर दिन भर भूखे प्यासे रहते है।सूरज डूबने के बाद इफ्तार करते है।

 

ईमान वाले 30 दिनों तक अल्लाह की रजा को लेकर रोजा रखते है। रोजा मुसलमानों के लिए फर्ज करार दिया गया है। जो इसको तर्क करता है वह गुनाह का भागीदार होता है। रोजा की फजीलत बयान करते हुए हरिणडंगा जामे अतरिया मस्जिद के इमाम मौलाना अंजर कासमी ने कहा कि रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि अल्लाह ने जिस चीज से रुकने को कहा है उससे रुकने का नाम रोजा है।

 

 

उन्होंने कहा कि इस्लाम की बुनियाद पांच चीजो पर कायम है। जिसमे एक रोजा है। रोजा को अरबी जुबान में सोम कहा जाता है। जिसका मतलब होता है चुप रहना, साबित कदम और सब्र भी है। इस्लाम में रोजा का मक़सद नफ़्स की हवस और बाहमी ख्वाहिश यात पर रोक और मनचाही जिंदगी से बच कर अल्लाह की इबादत और उनके बताए रास्तों पर चल कर जिंदगी गुजरना है। रोजा परहेजगारी का नाम है। जुबान को बुराई से रोकना, कान को बुरी बात सुनने से परहेज करना, यतीमों का हक ना मरना, हराम खोरी से बचना, सूद खोरी से बचना, सट्टे बाजी, फिरका परस्ती से बचना और अल्लाह के एहकाम बजा लाना रोजा का मक़सद है।

 

 

उन्होंने लोगों से अपील की रोजा का एहतमाम करे और ज्यादा से ज्यादा इबादत करे। ये मुबारक माह हमें मिला है इसमें अल्लाह को राजी करें। बेसिक अल्लाह ईमान वालों के लिए जन्नत देगा।

 

: द न्यूज़ के लिए राजकुमार भगत की रिपोर्ट।

आकाश भगत

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