महामारी में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने गंवाई सबसे ज्यादा नौकरी, यहां जाने लैंगिक भेदभाव में भारत की स्थिति

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विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया में तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 156 देशों में से 140 पायदानों के साथ भारत 28 पायदान खिसक गया है, जो कहता है कि महामारी ने दुनिया भर में पुरुषों और महिलाओं के बीच बराबरी के अंतर को भरने में करीब 135 साल लग सकते हैं।

 

 

 

 

कोरोना महामारी के कारण  पुरुषों और महिलाओं के बीच बराबरी को एक पीढ़ी पीछे धकेल दिया है, यहीं नहीं इस कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा नुकसान  पुरुषों के मुकाबलें महिलाओं को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। एक तरफ जहां पुरुषों की नौकरियां 3.9 फीसदी की दर से गईं जबिक महिलाओं के लिए यही दर 5 फीसदी रही है।

 

 

 

 

बुधवार को जारी ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के अनुसार, भारत ने महिला सशक्तीकरण की संख्या में अधिक गिरावट आई है। बता दें कि 2020 की रैंकिंग में देश 153 देशों में से 112 वें स्थान पर था। आपको बता दें कि दक्षिण एशिया में, केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान भारत से नीचे है। भारत के पड़ोसियों में, बांग्लादेश 65 वें, नेपाल 106, पाकिस्तान 153, अफगानिस्तान 156, भूटान 130 और श्रीलंका 116 वें स्थान पर है।

 

 

 

  • लैंगिक भेदभाव पर भारत की स्थिति

पता चला है कि कोविड -19 महामारी का उन महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिन्होंने पुरुषों की तुलना में उच्च दर पर नौकरियां खो दी हैं, और स्कूलों के बंद होने पर उन्हें अतिरिक्त चाइल्डकैअर बोझ का अधिक बोझ उठाना पड़ा। डब्ल्यूईएफ ने एक बयान में कहा, “महिलाओं की एक और पीढ़ी को लैंगिक समानता के लिए इंतजार करना होगा।”

 

 

 

 

जिनेवा-आधारित संगठन की वार्षिक रिपोर्ट चार क्षेत्रों में 156 देशों में लिंगों के बीच असमानता को दर्शाती है: शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक अवसर और राजनीतिक सशक्तीकरण। आपको बता दें कि लैंगिक भेदभाव मामले में 156 देशों की लिस्ट में भारत 140वें स्थान पर है और इसमें भारत दक्षिण एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला तीसरा देश बन गया है।

आकाश भगत

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