दो साल बाद आमने-सामने होंगे भारत-पाकिस्तान

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दो साल भारत और पाकिस्तान एक बार फिर एक टेबल पर आमने-सामने होंगे। भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी के पानी समेत अन्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए दो दिवसीय बैठक होगी।
स्थाई सिंधु आयोग की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के 8 मेंबर्स का पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को भारत पहुंच रहा है। 370 हटने के बाद दिल्ली में सिंधु जल समझौते पर 23 और 24 मार्च को पहली मीटिंग होगी। लद्दाख में हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट्स पर पाकिस्तान को आपत्ति है। ये मीटिंग हर दो साल में होती है लेकिन कश्मीर से 370 हटने के बाद अभी तक ये मीटिंग नहीं हुई थी। भारत पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को लेकर भी चर्चा होगी।

 

 

 

1960 में सिंधु नदी का जल समझौता हुआ था। पंडित नेहरू और जनरल अयूब खान ने 1960 में समझौता किया था। लेकिन अब जब इस समझौते को लेकर बातचीत हो रही है तो क्या भारत पाकिस्तान के बीच जो दूरियां पिछले कुछ सालों में बढ़ी है वो इस बातचीत के जरिये कम होगी। दोनों देशों के एनएसए के बीच बातचीत हुई और 2003 का समझौता एक बार फिर से लागू किया गया।

 

 

दो साल बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत
  • सिंधु नदी जल विवाद पर आमने-सामने होंगे भारत और पाकिस्तान।
  • सिंधु जल समझौते के तहत दोनों देशों को कम से कम एक बार बैठक करनी होती है।
  • जम्मू कश्मीर से 370 हटाने के बाद हर साल होने वाली ये बैठक नहीं हो रही थी।
  • बैठक में लद्दाख में हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट्स की अनुमति पर पाकिस्तान आपत्ति जताने वाला है।
  • पाकिस्तान ये दावा करता है कि भारत उसके पानी को अवरूद्ध करने की कोशिश कर रहा है।
  • पाकिस्तान का कहना है कि संयंत्रों का निर्माण सिंधु जल संधि का उल्लंघन है।
  • पश्चिमी नदियों पर नयी भारतीय परियोजनाओं पर बातचीत की जाएगी।

 

 

क्या है सिंधु जल संधि के पीछे की कहानी ?
सिंधु नदि के जल का झगड़ा 1947 भारत के बंटवारे के पहले से ही शुरू हो गया था, उस समय यह वृहत पंजाब और सिंध प्रांतों के बीच था। 1947 में भारत और पाकिस्तान के इंजीनियर मिले और उन्होंने पाकिस्तान की तरफ़ आने वाली दो प्रमुख नहरों पर एक ‘स्टैंडस्टिल समझौते’ पर हस्ताक्षर किए जिसके अनुसार पाकिस्तान को लगातार पानी मिलता रहा।
ये समझौता 31 मार्च 1948 तक लागू था। लेकिन पाकिस्तान के रवैये के कारण भारत यह ज्यादा दिनों तक लागू नहीं रहा। कुछ ही महिनों में भारत ने दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया जिससे पाकिस्तानी पंजाब की 17 लाख एकड़ ज़मीन पर हालात खराब हो गए। भारत के इस कदम के कई कारण बताए गए जिसमें एक था कि भारत कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहता था। बाद में हुए समझौते के बाद भारत पानी की आपूर्ति जारी रखने पर राज़ी हो गया। 1951 में प्रधानमंत्री नेहरू ने टेनसी वैली अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख डेविड लिलियंथल को भारत बुलाया. लिलियंथल पाकिस्तान भी गए और वापस अमरीका लौटकर उन्होंने सिंधु नदी के बंटवारे पर एक लेख लिखा।
ये लेख विश्व बैंक प्रमुख और लिलियंथल के दोस्त डेविड ब्लैक ने भी पढ़ा और ब्लैक ने भारत और पाकिस्तान के प्रमुखों से इस बारे में संपर्क किया और फिर शुरू हुआ दोनो पक्षों के बीच बैठकों का सिलसिला। ये बैठकें करीब एक दशक तक चलीं और आखिरकार विश्व बैंक की मध्यस्थता के बाद पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने 19 सितंबर 1960 को कराची में इस पर दस्तखत किए थे।
आकाश भगत

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