नई दिल्ली :महाराष्ट्र में कोविड-19 की दूसरी लहर की शुरूआत हो चुकी है लेकिन मरीजों का पता लगाने, जांच करने, उन्हें एवं उनके संपर्क में आये व्यक्तियों को पृथक रखने पर बहुत सीमित सक्रिय प्रयास हो रहे हैं तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में लोग कोविड-19 संबंधी सुरक्षा नियमों का पालन भी नहीं कर रहे हैं।
एक केंद्रीय दल ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखा है और कहा है कि रात्रि कर्फ्यू, सप्ताहांत लॉकडाउन जैसे कदमों का संक्रमण के प्रसार को रोकने पर बहुत सीमित प्रभाव है ऐसे में राज्य से कड़ी निषिद्ध रणनीतियां अपनाने तथा निगरानी एवं जांच बढ़ाने पर ध्यान देने की अपील की जाती है।
महाराष्ट्र को मुख्य सचिव सीताराम कुंते को भेजे एक पत्र में कहा है कि वैसे तो फिलहाल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा पर्याप्त है लेकिन राज्य को समय रहते भीषणतम स्थिति की योजना बनानी चाहिए। केंद्रीय दल ने 7-11 मार्च के दौरान महाराष्ट्र की यात्रा की थी और उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिसतरह प्रशासनिक मशीनरी ने अगस्त-सितंबर, 2020 में कोविड-19 के रोकथाम के लिए काम किया, वैसी ही चुस्ती अब उसके अंदर लायी जानी चाहिए। रिपोर्ट में जांच काफी बढ़ाने एवं आईसीएमआर के नियमों का पालन करने पर बल दिया गया। उसमें कहा गया है, ‘‘ संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये व्यक्तियों की पहचान के लिए सघन अभियान, जांच एवं निषिद्ध क्षेत्र बनाने के अभाव में सामुदायिक संक्रमण फैल रहा है।’’
केंद्रीय दल ने कहा, ‘‘ मामले – संपर्क अनुपात 1:20 है। वैसे तो यह अधिक जान पड़ता है लेकिन संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये व्यक्तियों की पहचान के तौर तरीकों पर गौर करने से पता चलता है कि क्षेत्र स्तर के कर्मचारियों ने इसकी अवधारणा सही से समझी नहीं है और वे बस सूची बनाने के लिए परिवार एवं पड़ोस लोगों की सूची बना रहे हैं।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ कार्यस्थल, सामाजिक व्यवस्था और पारिवारिक व्यवस्था में उच्च खतरा वाले संपर्कों की जांच और उनकी सूची नहीं बनायी गयी।