राजनाथ की अपील के बाद लोकसभा में गतिरोध टूटा
- राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू
नई दिल्ली : तीन नये विवादित कृषि कानूनों को लेकर लोकसभा में पिछले सप्ताह से जारी गतिरोध का सोमवार को समाधान तब निकल पाया जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी सदस्यों से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेने की अपील करते हुए सदन में कहा कि जीवंत लोकतंत्र की परंपरा को बनाए रखना किसी एक पार्टी की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि सबकी जिम्मेदारी है।
शाम पांच बजे निचले सदन में आवश्यक कागजात सभापटल पर रखे जाने के बाद सदन के उपनेता राजनाथ सिंह ने बयान दिया। इससे पहले विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही सोमवार को आरंभ होने के करीब 10 मिनट बाद शाम पांच बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। राजनाथ ने कहा, ‘‘स्वस्थ लोकतंत्र में जीवंत परंपरा को बनाए रखना किसी एक पार्टी की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि सबकी जिम्मेदारी है। सभी इस स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा को बनाये भी रखना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति जैसे पद….कोई व्यक्ति नहीं होते हैं, ये संस्था होते हैं। इन संस्थाओं की गरिमा को बनाये रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। लोकसभा के उपनेता ने कहा कि राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई, प्रधानमंत्री ने जवाब दिया और उच्च सदन ने राष्ट्रपति के प्रति आभार प्रकट किया। राजनाथ सिंह ने लोकसभा में सभी दलों के नेताओं से आग्रह किया कि वे स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुरूप राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा आरंभ करें और राष्ट्रपति जी को कृतज्ञता ज्ञापित करें। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं सभी दलों के सदस्यों से हाथ जोड़कर विनम्रतापूर्वक आग्रह करता हूं कि इस परंपरा को टूटने न दें। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होनी चाहिए।’’
सिंह ने कहा कि जिस विषय पर बोलना चाहते हैं, उस विषय पर चर्चा के दौरान बोलें, खुल कर बोलें। कृषि कानूनों पर बोलना चाहते हैं, उस पर भी बोलें लेकिन परंपरा बनाए रखें और सर्वसम्मति से धन्यवाद प्रस्ताव पारित करें। इसके बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम जानते हैं कि राष्ट्रपति संस्था होते हैं और हम राष्ट्रपति का सम्मान करते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद उनके प्रति आभार व्यक्त करने की परंपरा को कभी टूटने नहीं दिया गया। चौधरी ने कहा कि लेकिन हम उन किसानों की बदहाली और बर्बादी पर चुप नहीं रह सकते जो हमें अन्न देते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसान आंदोलन में काफी संख्या में किसानों ने जान गंवायी है। कांग्रेस नेता ने कहा कि हम राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं लेकिन हमारी मांग यह थी कि किसानों के विषय पर भी अलग से चर्चा हो।
चौधरी ने कहा कि देश की संसद किसानों का सम्मान करे और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के बाद किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा हो। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ हमारी बात तो बाहर नहीं जा पाती है। हम चाहते हैं कि किसानों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिये 2-4 घंटे की चर्चा करें।’’ अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘ लेकिन बहुमत के बाहुबली हमारी बात को दबा देते हैं। यह कोई हमारी व्यक्तिगत मांग नहीं है बल्कि देश के किसानों के मुद्दे पर बात रखने के लिये हम चर्चा चाहते हैं।’’ इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘मैं राजनाथ सिंह को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने सदन चलाने के लिए नेताओं से अनुरोध किया। मेरा भी यही प्रयास था और मैं धन्यवाद करता हूं कि सभी नेताओं ने सहमति जताई।’’
उन्होंने कहा कि मुझे दुख होता है कि कई सदस्य नारेबाजी करते हैं और कुछ लोग सदन की गरिमा भी नहीं रखते। यह संसदीय लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। देश की जनता चाहती है कि सदन चले। उल्लेखनीय है कि विवादों में घिरे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग और दिल्ली के कई सीमा क्षेत्रों में चल रहे किसानों के आंदोलन का मुद्दा पिछले सप्ताह लगातार चार दिन लोकसभा में छाया रहा और इस मुद्दे पर चर्चा को लेकर कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के हंगामे के कारण पिछले सप्ताह कामकाज बाधित रहा। हालांकि आज राजनाथ सिंह की अपील के बाद गतिरोध टूटा और चर्चा शुरू हुई।
स्वस्थ लोकतंत्र में परम्पराएँ नहीं टूटनी चाहिए। संस्थाओं की अवमानना किसी भी सूरत में नहीं होनी चाहिए। संस्थाओं की गरिमा बनाए रखना सबकी ज़िम्मेदारी है।मैं विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूँ कि संसदीय परम्परायें नहीं टूटनी चाहिए। इसलिए अपील है कि राष्ट्रपति अभिभाषण पर सदन में चर्चा हो। pic.twitter.com/WGujRl9Ugw
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) February 8, 2021