सनी देओल का दीप सिद्धू पर ट्वीट
- अभिनेता से मेरा कोई संबंध नहीं
चंडीगढ़ : भाजपा सांसद सनी देओल ने स्पष्ट किया है कि उनका या उनके परिवार का अभिनेता दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है। सिद्धू दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर पहुंचे प्रदर्शनकारियों में शामिल थे।
देओल ने कहा कि उन्होंने पहले भी स्पष्ट किया है कि उनका सिद्धू के साथ कोई संबंध नहीं है। देओल ने मंगलवार रात किए ट्वीट में कहा, “ मैंने छह दिसंबर को ट्विटर के जरिए पहले ही स्पष्ट किया था कि मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है। ”
देओल ने यह भी कहा कि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई घटनाओं से वह काफी दुखी हैं।
गौरतलब है कि मंगलवार को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा हो गई थी। हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए थे, वे पुलिस से भिड़ गए थे, गाड़ियों को पलट दिया था और लाल किले पर धार्मिक झंडा लगा दिया था। पंजाबी फिल्मों के अभिनेता सिद्धू लाल किला पहुंचे प्रदर्शनकारियों में शामिल थे जहां धार्मिक झंडा लगाया गया था।
आज लाल क़िले पर जो हुआ उसे देख कर मन बहुत दुखी हुआ है, मैं पहले भी, 6 December को ,Twitter के माध्यम से यह साफ कर चुका हूँ कि मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू के साथ कोई संबंध नही है।
जय हिन्द— Sunny Deol (@iamsunnydeol) January 26, 2021
देओल ने 2019 का लोकसभा चुनाव जब गुरदासपुर सीट सेलड़ा था तब सिद्धू उनके सहयोगी थे। भाजपा सांसद देओल ने पिछले साल दिसंबर में सिद्धू से तब दूरी बना ली थी जब वह किसान आंदोलन में शामिल हो गए थे।
गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लालकिले पर प्रदर्शनकारियों द्वारा धार्मिक झंडा फहराये जाने की घटना के दौरान मौजूद रहे सिद्धू ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों के कृत्य का यह कह कर बचाव किया कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया और केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर ‘निशान साहिब’ को लगाया था।
‘निशान साहिब’ सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है। सिद्धू ने मंगलवार की शाम फेसबुक पर पोस्ट किये गए एक वीडियो में दावा किया कि वह कोई योजनाबद्ध कदम नहीं था और उसे कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है।
पिछले कई महीनों से किसान आंदोलन से जुड़े सिद्धू ने कहा कि जब लोगों के वास्तविक अधिकारों को नजरअंदाज किया जाता है तो इस तरह के एक जन आंदोलन में ‘‘गुस्सा भड़क उठता है।’’उन्होंने कहा, ‘‘आज की स्थिति में, वह गुस्सा भड़क गया।’’
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा में शामिल लोगों से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया और आरोप लगाया कि कुछ ‘‘असामाजिक तत्वों ने घुसपैठ कर ली है, अन्यथा आंदोलन शांतिपूर्ण था। ’’ संयुक्त किसान मोर्चा में किसानों के 41 संघ शामिल हैं।