छात्रों को दाखिला देने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे, शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को दिए निर्देश

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कोरोना लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद करने के आदेश दिए गए थे जिससे कई बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा है। इसी को देखते हुए अब शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिए है।अधिकारियों के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वह आउट-ऑफ-स्कूल बच्चों की पहचान करने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे करें और खासकर प्रवासियों के लिए COVID-19 महामारी के प्रभाव को कम करने के प्रयासों के तहत उनके नामांकन के लिए एक कार्य योजना तैयार करें।

 

मंत्रालय ने कोरोना महामारी के कारण बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहे असर को दूर करने के उपायों के साथ-साथ इस साल ड्रॉप-आउट को रोकने के लिए मानदंडों की भी सिफारिश की है। इस कदम का उद्देश्य विशेष रूप से प्रवासी बच्चों की पहचान, प्रवेश और निरंतर शिक्षा है, जो महामारी के दौरान प्रभावित हुए हैं।

 

कोविड-19 महामारी द्वारा कई चुनौतियों के प्रभाव को कम करने के लिए हर राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए यह आवश्यक है कि वह ड्रॉपआउट, कम नामांकन, सीखने की हानि और गिरावट को रोकने के लिए एक उचित रणनीति तैयार करें।

 

“राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वह एक व्यापक डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के माध्यम से 6 से 18 साल के बच्चों के आउट-ऑफ-स्कूल बच्चों (OoSC) की उचित पहचान करें और उनके नामांकन के लिए कार्य योजना तैयार करें।”

 

बता दें कि मंत्रालय ने स्कूलों को बंद करने और फिर से खोलने के दौरान छात्रों को सहायता देने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। स्कूली शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए, शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने स्कूल के बंद होने पर चलते-फिरते स्कूल, गांवों में छोटे-छोटे समूह में कक्षाओं का संचालन समेत बच्चों तक ऑनलाइन और डिजिटल चीजों को बढ़ाने की सिफारिश की है। वहीं पढ़ाई का नुकसान कम हो इसके लिए टीवी, मोबाइल और रेडियो के जरिए पढ़ाई पर गौर करने को भी कहा है।

आकाश भगत

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