Vinayak Chaturthi 2025: मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत से शीघ्र पूरी होती है सभी मनोकामनाएं

आज मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत है, हिंदू धर्म में प्रत्येक मास की चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश की आराधना के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है, किंतु मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी का महत्व इससे भी अधिक है। विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में जाने जाने वाले भगवान गणेश की पूजा सफलता, समृद्धि, शांति और मन की स्पष्टता लाने के लिए की जाती है तो आइए हम आपको मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

जानें मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत के बारे में  

मार्गशीर्ष मास देवताओं का प्रिय माना गया है, इसलिए इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के समस्त विघ्न दूर होते हैं और मनुष्य को ज्ञान, बुद्धि व सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार यह चतुर्थी 24 नवंबर को मनाई जाएगी। स्कंद पुराण में मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी को विशेष सिद्धिप्रद बताया गया है। भगवान गणेश को समर्पित विनायक चतुर्थी, हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाए जाने वाले सबसे शुभ दिनों में से एक है। यह एक बहुत ही शुभ महीने में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी है जिसमें गहरी आध्यात्मिक शक्ति होती है।

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मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी का धार्मिक महत्व भी है खास

गणेश पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण में मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी को विशेष सिद्धिप्रद बताया गया है। पंडितों के अनुसार इस दिन श्रीगणेश की पूजा करने वालों की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। नए कार्यों की शुरुआत, शिक्षा, करियर, व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में आने वाली रुकावटों को दूर करने के लिए यह तिथि अत्यंत कल्याणकारी मानी जाती है। इस दिन की गई पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़कर मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत रखने और मध्याह्न काल में गणेश जी की पूजा करने से भक्तों के विघ्न या बाधाएं दूर होते हैं। यह दिन विशेष रूप से बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और व्यापार में सफलता के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान, और सभी बाधाओं को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। विनायक चतुर्थी का व्रत रखने का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने और गणपति की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं, संकट और परेशानियां दूर हो जाती हैं। गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा से यह व्रत करता है, उसके घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली का वास होता है। गणेश जी को बुद्धि का देवता भी माना जाता है। छात्रों और ज्ञान की इच्छा रखने वाले व्यक्तियों के लिए यह व्रत बहुत ही फलदायी होता है। इस दिन उपवास रखने, पूजा करने और दुर्वा अर्पित करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा 

पंडितों के अनुसार मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत के दिन पूजन के लिए घर के मंदिर या किसी शुभ स्थान पर लकड़ी के पाटे पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर श्रीगणेश की प्रतिमा अथवा स्वच्छ तस्वीर स्थापित की जाती है। इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठकर व्रत का संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय भगवान गणेश से परिवार की सुख-समृद्धि, ज्ञान-वृद्धि और विघ्नों के नाश की कामना की जाती है। इसके बाद भगवान गणेश पर गंगाजल छिड़ककर जलाभिषेक किया जाता है और चंदन, रोली, अक्षत, दूर्वा, लाल पुष्प तथा सुगंधित धूप-दीप अर्पित किए जाते हैं। चतुर्थी तिथि पर गणेश जी को दूर्वा, मोदक और गुड़-तिल के लड्डू अत्यंत प्रिय माने गए हैं, इसलिए इन्हें अवश्य चढ़ाना चाहिए। पूजन के दौरान गणेश अथर्वशीर्ष, गणेश स्तुति, गणेश चालीसा या ‘ॐ गं गणपतये नमः’मंत्र का 108 बार जप शुभ माना गया है। यह मंत्र जीवन से बाधाएं दूर करता है और मन को एकाग्र बनाने में सहायता करता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिनभर सात्त्विक आचरण का पालन करना चाहिए। पंडितों के अनुसार इस दिन फलाहार किया जा सकता है और एक समय भोजन का नियम भी रखा जा सकता है। शाम को पुनः दीप प्रज्वलित कर भगवान गणेश की आरती करनी चाहिए।

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत के दिन पूजा करने से मिलते हैं ये फल

श्रीगणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है पंडितों के अनुसार इस दिन पूजा करने से जीवन में आ रहे अवरोध दूर होते हैं और सभी कार्य सुगमता से सिद्ध होते हैं। विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह याददाश्त, एकाग्रता और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाता है। गणेश जी को ऋद्धि–सिद्धि का दाता कहा गया है। इस दिन की पूजा से घर में लक्ष्मी प्रवेश करती है और आर्थिक स्थिरता बढ़ती है। यह व्रत परिवार में सद्भाव, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। दांपत्य जीवन की समस्याएं भी दूर होती हैं।

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत के दिन करें ये सामग्री अर्पित 

पंडितों के अनुसार गणेश जी को दूर्वा घास की 21 गांठें अर्पित करें। दूर्वा गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। उन्हें लाल फूल विशेष रूप से गुड़हल का फूल और माला चढ़ाएं। धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत के दिन लगाएं इनका भोग, करें मंत्र जाप

पंडितों के अनुसार भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल का प्रयोग न करें। इस दिन गणेश चालीसा का पाठ करें और ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। पूजा का समापन करने से पहले विनायक चतुर्थी की व्रत कथा सुनें।

जानें मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत के नियम

पंडितों के अनुसार कई भक्त सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत रखते हैं। आप फल और दूध से बनी चीज़ें खा सकते हैं, अनाज और नमक से बचें। अपने विचार पॉजिटिव और शांत रखें। शाम को उत्तर-पश्चिम दिशा में एक दीया जलाएं, जिसे गणेश के लिए अच्छा माना जाता है। ध्यान करें और अपने जीवन में मिली कृपा के लिए शुक्रिया करें।

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा भी है रोचक

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी की कथा में दो मुख्य प्रसंग हैं: एक है शिव-पार्वती का चौपड़ खेलना और दूसरा है भगवान श्री राम की सहायता हेतु हनुमान जी का गणेश व्रत करना। चौपड़ खेल की कथा में, पार्वती जी ने एक मिट्टी के बालक को बनाया, जिसे हार-जीत का फैसला करने के लिए बनाया गया था। हनुमान जी ने भगवान राम के कार्य में सहायता के लिए विनायक चतुर्थी का व्रत किया था, जिससे उन्हें समुद्र पार करने में सफलता मिली।
– प्रज्ञा पाण्डेय